
केंद्र सरकार ने अगले बजट सत्र से रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. सरकार ने रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश किए जाने वर्षों से चली आ रही परंपरा पर विराम लगा दिया है. रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किए जाने की परंपरा 1924 में शुरू की गई थी. जानिए, मर्जर से जुड़ी बड़ी बातें और मोदी सरकार के इस कदम का क्या होगा असर...
1.अब आगामी वित्त वर्ष यानी 2017-18 के लिए साल 2017 में सिर्फ आम बजट ही संसद में पेश किया जाएगा. इसके अलावा एक विनियोजन विधेयक होगा. इससे रेलवे की स्वायतत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
2. वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का बजट तय करेगा लेकिन अभी भी दोनो मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा बाकी है और इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी इसको भी तय किया जाना बाकी है.
3. आम बजट में रेलवे के लागत और गैर-लागत खर्च का ब्योरा होगा.
4. केंद्रीय कैबिनेट ने बजट की पूरी प्रक्रिया में ही बदलाव करने का फैसला लिया है. इसके तहत अब आम बजट पेश किए जाने की तारीख और पहले हो जाएगी.
5. वित्त और रेल मंत्रालय के बीच इस बात पर सहमति है कि आने वाले दिनों में किराए में कमी और बढ़ोतरी के लिए रेल टैरिफ अथॉरिटी बनाई जाएगी.
6. अगर रेल बजट को आम बजट में मिला दिया जाता है तो इससे नकदी की कमी से जूझ रही रेलवे को हर साल तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. क्योंकि रेल मंत्रालय को यह रकम डिविडेंड यानी लाभांश के तौर पर देना पड़ता है.
7. आम बजट में रेल बजट के मर्जर के बाद भी रेल मंत्रालय को नई रेलगाड़ियों और परियोजनाओं के ऐलान की छूट होगी.
8. वित्त मंत्रालय सातवें वेतन आयोग की वजह से रेल मंत्रालय पर पड़ रहे भारी भरकम बोझ को साझा करने में भी सहयोग करेगा.
9. दोनों बजट के मर्जर के बाद रेलवे के राजस्व घाटे और पूंजी लागत को अब वित्त मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
10. रेल मंत्रालय को अब वित्त मंत्रालय के सामने ग्रॉस बजटरी सपोर्ट के लिए गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगा.