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बिहार में सिगरेट, बीड़ी की तुलना में खैनी अधिक लोकप्रिय

तंबाकू उत्पादों के उपयोग के मामले में बिहार में सिगरेट और बीड़ी की तुलना में खैनी लोकप्रियता के लिहाज से ‘नंबर वन’ है.

भाषा
  • पटना,
  • 31 जुलाई 2011,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

तंबाकू उत्पादों के उपयोग के मामले में बिहार में सिगरेट और बीड़ी की तुलना में खैनी लोकप्रियता के लिहाज से ‘नंबर वन’ है.

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियों के एक वैश्विक सर्वे में खुलासा हुआ है कि तंबाकू से बने पांच प्रमुख उत्पादों के उपयोग में बिहार में सिगरेट तथा बीड़ी की अपेक्षा खैनी का कही अधिक उपयोग किया जाता है.

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बिहार में हर दूसरा वयस्क पुरुष खैनी का सेवन करता है. इसे चूने के साथ प्रयोग में लाया जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर भारत में 5.8 फीसदी वयस्क खैनी का प्रयोग करते हैं.

वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स इंडिया) 2009-10 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में किये सर्वेक्षण में 27.6 फीसदी लोगों की पहली पसंद खैनी थी जबकि बीड़ी 8.4 प्रतिशत और जर्दायुक्त पान 7.7 फीसदी लोगों की पसंद थी.

गेट्स सर्वेक्षण 2009-10 के बारे में अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई की प्रोफेसर सुलभा परशुरामन ने बताया कि बिहार में 2709 सैंपल सर्वे और 2392 साक्षात्कार किये गये जिसमें से 95.4 फीसदी लोगों ने उत्तर दिये.

इस सर्वे में 15 वर्ष से उपर के वयस्कों को शामिल किया गया.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे के बाद गेट्स दूसरा सबसे बड़ा स्वास्थ्य सर्वे है. इस सर्वे के अनुसार राज्य में हर दूसरा वयस्क व्यक्ति किसी न किसी रूप में तंबाकू या उससे बने उत्पाद का प्रयोग करता है.

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देश में 35 फीसदी लोग तंबाकू का उपयोग करते हैं जबकि बिहार में यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 20 प्रतिशत अधिक है. राज्य में 54 फीसदी लोग तंबाकू उत्पाद का प्रयोग करते हैं.

गेट्स सर्वेक्षण 2009-10 के अनुसार बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्र की तुलना में खैनी का अधिक प्रयोग होता है. ग्रामीण बिहार में 28 फीसदी लोगों की पसंद खैनी थी, जबकि शहरों में 24.8 प्रतिशत की.
सुलभा ने बताया कि शहरी क्षेत्र में पांचवां सबसे अधिक लोकप्रिय उत्पाद सिगरेट था. 5.9 फीसदी को सिगरेट जबकि 6.8 फीसदी को गुटखे की तलब अधिक थी. इस सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू से बने उत्पादों का सबसे अधिक उपभोग 67 प्रतिशत पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में और सबसे कम गोवा में नौ फीसदी है. 54 फीसदी के साथ तंबाकू उत्पाद के उपयोग में बिहार का स्थान छठा था.

धूम्रपान के मामले में बिहार में 14 फीसदी लोगों को इसकी लत है जबकि धूम्रपानमुक्त तंबाकू के उपयोग में यह प्रतिशत 49 है. बिहार में सिगरेट में इसके बगैर दोनों प्रकार के तंबाकू का उपयोग धड़ल्ले से होता है.

इस सर्वेक्षण में प्रमुख पहलू है कि 30 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्हें सुबह नींद से जगने के बाद 30 मिनट के भीतर खैनी, बीडी, गुटखा और सिगरेट के सेवन की आदत थी.

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बिहार में 27.6 फीसदी लोग ऐसे हैं जो सुबह जगने के आधे घंटे के भीतर मुंह में खैनी दबा लेते हैं. बीड़ी के सेवन के मामले में यह प्रतिशत 8.4 और गुटखा के संबंध में साढे सात फीसदी है.

बहरहाल इस सर्वे के मामले में बिहार के लिए एक बात उत्साहजनक है. तंबाकू उत्पादों की लत छोड़ने की इच्छा व्यक्त करने वालों की संख्या अधिक है. 39 फीसदी लोगों ने इस सर्वे में लत छोड़ने की इच्छा व्यक्त की.

तंबाकू उत्पादों के प्रयोग से फेफड़े का कैंसर होने के बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी थी लेकिन दिल का दौरा पड़ने और अन्य प्रकार के स्ट्रोक के बारे में लोगों को ज्ञान नहीं था.

इस सर्वे के अनुसार परिवहन के सार्वजनिक साधनों में 13 फीसदी लोगों में धूम्रपान की आदत देखी गयी जबकि सरकारी परिसरों में यह चार फीसदी था.

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