
मंगलवार से यानी 14 मार्च से खरमास शुरू हो गया है. खरमास को मीन माह, मलमास या काली रात भी कहते हैं. खरमास 13 अप्रैल 2017 को खत्म होगा. माना जाता है कि इस पूरे महीने कोई भी शुभ कार्य नहीं करते. खासतौर से शादी से जुड़ी बातचीत या खरीदारी नहीं करते.
पंडित बिनोद मिश्र के अनुसार जिस परम धाम गोलोक को पाने के लिए ऋषि तपस्या करते हैं, वही दुर्लभ पद खर मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान व दान करने वाले को सरलता से
प्राप्त हो जाते हैं.
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गुरु की राशि में सूर्य का गोचर खरमास कहलाता है. खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं, पर इसमें भक्ति, साधना व उत्सव का क्रम जारी रहता है.
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस मास में नामकरण, विद्या आरंभ, कर्ण छेदन, अन्न प्राशन, चौलकर्म, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, ग्रह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक
कार्य वर्जित माने गए हैं.
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लेकिन दान-पुण्य का हजार गुना फल मिलता है. शास्त्रों के अनुसार इस मीन मास में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर अपने नित्यकर्म से निवृत्त हो जाना चाहिए और यथा संभव भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए.
इन दिनों पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. साथ ही गौ दान, ब्राह्मण की सेवा, दान आदि देने से अधिक फल मिलता है.