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नॉर्थ कोरिया ने फिर किया मिसाइल परीक्षण, पाकिस्तान से मिल रहा न्यूक्लियर मैटेरियल

किम के हवाले से कहा गया, 'प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकियों पर समग्र और व्यवहारिक ढंग से हमला करने के लिए हमारे पास सुनिश्चित क्षमता है.

किम जोंग-उन किम जोंग-उन
लव रघुवंशी
  • सोल,
  • 23 जून 2016,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

उत्तर कोरिया ने तमाम पाबंदियों के बीच एक फिर मिसाइल का परीक्षण किया है. किम जोंग-उन ने मध्यम-दूरी की एक नई शक्तिशाली मिसाइल के सफल परीक्षण की सराहना करते हुए कहा है कि यह प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के सैन्य अड्डों के लिए एक सीधा खतरा है.

मसदान मिसाइल के परीक्षण की खुद निगरानी करने वाले किम ने कहा कि यह एक बड़ा अवसर है, जिसने खतरे की स्थिति में अपनी ओर से पहले परमाणु हमला करने की, उत्तर कोरिया की क्षमता को बढ़ाया है.

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अमेरिका को खतरा
किम के हवाले से कहा गया, 'प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकियों पर समग्र और व्यवहारिक ढंग से हमला करने के लिए हमारे पास सुनिश्चित क्षमता है. मसदान की मारक क्षमता 2500 से 4000 किलोमीटर के बीच की है. न्यूनतम दूरी के तहत दक्षिण कोरिया और जापान इसकी जद में आते हैं, जबकि ऊपरी सीमा के तहत गुआम स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे इसकी पहुंच में आ जाते हैं. हाल के महीनों में मिली कुछ विफलताओं के बाद उत्तर कोरिया ने दो मसदान मिसाइलों का परीक्षण किया. इनमें से एक जापान सागर में 400 किलोमीटर तक उड़ी.

मिसाइल को ऊंचे कोण पर दागा गया था ताकि वह अपनी अधिकतम दूरी तक जा सके. वह अधिकतम 1400 किलोमीटर की ऊंचाई तक गई. इस प्रायोगिक परीक्षण का आयोजन सफलतापूर्वक कर लिया गया और इससे आसपास के देशों की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ा.

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पाकिस्तान-चीन की मिल रही मदद
हाल ही में आई रिपोर्ट से सामने आया कि पाकिस्तान अभी भी नॉर्थ कोरिया को न्यूक्लियर मटेरियल बेच रहा है. अमेरिकी सोर्स ने दावा किया है कि तेहरान में नॉर्थ कोरिया के दो डिप्लोमैट्स किम योंग चोई और जैंग योंग सन ने 2012 से 2015 के बीच 8 बार पाकिस्तान का दौरा किया था. इस दौरान नार्थ कोरिया के अफसर ने न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़े पाकिस्तानी अफसरों से भी मुलाकात की थी.

रक्षा विशेषज्ञ सी. उदय भास्कर ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा कोरिया को मिल रही मदद चीन के अप्रत्यक्ष समर्थन के बिना संभव नहीं है. सूत्रों ने बताया कि नॉर्थ कोरिया को मिल रहा माल चाइनीज है.

जहां एक तरफ पाकिस्तान एनएसजी में भारत की एंट्री पर रोक लगाने की कोशिश कर रहा है, साथ ही खुद भी सदस्यता मांग रहा है, तो दूसरी और नॉर्थ कोरिया की मदद भी कर रहा है.

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