Advertisement

बीफ पर बवाल के बाद ढीले पड़े किरण रिजिजू के तेवर

गोमांस (बीफ) खाने के मुद्दे पर किरण रिजिजू ने सफाई देते हुए नरम रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया और उस वक्त वह लोगों के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या बीफ खाने वालों को पाकिस्तान चला जाना चाहिए.

Kiren Rijiju Kiren Rijiju
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2015,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

गोमांस (बीफ) खाने के मुद्दे पर किरण रिजिजू ने सफाई देते हुए नरम रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया और उस वक्त वह लोगों के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या बीफ खाने वालों को पाकिस्तान चला जाना चाहिए.

टीवी टुडे से फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, 'भारत एक सेक्युलर देश है और राज्यों पर फूड हैबिट किसी पर थोपी नहीं जा सकतीं. जहां हिंदू बहुसंख्यक है, उनकी आस्था और मान्यताओं का सम्मान किया जाना चाहिए.'

Advertisement

'मैं भी खाता हूं बीफ, कौन रोकेगा'
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने गोमांस खाने का समर्थन कर दिया है और अपने वरिष्ठ बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को करारा जवाब भी दिया है. अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री नकवी ने कहा था कि बीफ खाने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए . इस बयान को किरण रिजिजू ने 'अरुचिकर' बताया और बताया कि वह खुद बीफ खाते हैं.

रिजिजू ने कहा, 'मैं बीफ खाता हूं. मैं अरुणाचल प्रदेश से हूं. क्या कोई मुझे रोक सकता है? हमें किसी के रोजाना के कामों से आहत नहीं होना चाहिए.' मंगलवार को आइजॉल में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा, 'यह एक लोकतांत्रिक देश है. लेकिन कई बार ऐसे बयान दिए जाते हैं जो रुचिकर नहीं होते.'

Advertisement

अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा, 'अगर कोई मिजो ईसाई कहता है कि यह जीसस की धरती है तो पंजाब और हरियाणा में किसी को दिक्कत क्यों होती है? हमें हर जगह के लोगों की भावनाओं का आदर करना होगा.'

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र हिंदू बहुसंख्यक प्रदेश है, गुजरात भी है, मध्य प्रदेश भी है, अगर वे ऐसे कानून बनाते हैं जो हिंदू समाज के लिए हितकारी हों तो उन्हें ऐसा करने दिया जाए. लेकिन हमारी जगह पर जहां हम बहुसंख्यक हैं, हमारी मान्यताओं के लिए हितकारी कानून ही बनने चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें उनके जीवन के तरीके से दिक्कत नहीं है, उन्हें हमारे तरीके से नहीं होनी चाहिए. अगर कोई ऐसा बयान देता है जो आपकी मान्यताओं पर थोपा हुआ-सा लगे तो यह अच्छा नहीं है.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement