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13 मार्च को देशभर के किसान घेरेंगे संसद

किसान नेताओं ने भरी हुंकार, नहीं सुनी तो 2019 में भाजपा सरकार को सिखाएंगे सबक.

किसान मोर्चे ने भरी हुंकार किसान मोर्चे ने भरी हुंकार
संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
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  • 28 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

भाजपा सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने करने का वादा कर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है. बजट में एमएसपी की रकम बढ़ाने का दावा कर देश की मोदी सरकार भले ही खुद को किसानों का हितैषी साबित करने में जुटी है लेकिन किसान इन दावों और वादों से बेअसर एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार ने अगर किसानों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो 2019 में किसान सबक सिखाएंगे.

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13 मार्च को अपनी मांगों को लेकर किसान संसद घेरने की तैयारी कर ली है. देशभर से किसान जुटेंगे और संसद से लेकर सड़क तक विरोध करेंगे.

किसान नेता युद्धवीर सिंह ने भी कहा कि कभी कोई अफसर,कोई नेता आत्महत्या नहीं करता है. लेकिन किसानों की आत्महत्या का सिलसिला है कि रुकता ही नहीं. आखिर ऐसा क्यों? दरअसल देश की नीतियां ऐसी हैं जो किसानों को मजबूर कर रही हैं कि वे आत्महत्या करें.

राकेश टिकैत कहते हैं ‘1967 में गेंहू की कीमत 76 रु. प्रति कुंतल थी. एक प्राइमरी के टीचर की सैलरी 70 रु. प्रति माह थी. सोने की कीमत 200 रु. प्रति तोला थी. डीजल 38 पैसा प्रति लीटर था.

गेहूं की कीमत भी बढ़ गई. सोने की कीमत भी खूब बढ़ी लेकिन किसान को कितना मिला. प्राइमरी का टीचर 45000-5000 रु. प्रति माह पाता है और नेशनल परिवार कल्याण की नेशनल सैंपल की रिपोर्ट के अनुसार किसान की औसत आय प्रति माह 4,000 रु. है.’ ऐसे में ये कहना गलत होगा कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं बल्कि ये कहना ठीक होगा कि किसानों को मौत के घाट उतारा जा रहा है.  

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किसानों को फसलों का उचित एवं लाभकारी मूल्य मिले. स्वामीनाथर रिपोर्ट के अनुसार

-देश में सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर सरकारी खरीद की गारंटी दी जाए.

-किसानों का कर्जा पूरी तरह माफ हो.

-बिना ब्याज और लंबी अवधि का कर्ज मिले.

-कर्ज के कारण अगर किसान आत्महत्या करे तो उसके परिवार के लिए उचित व्यवस्था की जाए.

-भंडारण की व्यवस्था ठीक से की जाए

-जैव परिवर्तित फसलों पर रोक लगाई जाए समेत कई और मांगों को लेकर किसानों को प्रतिनिधियों ने नेताओं को चेतावनी दी है.

किसान नेता अजमेर सिंह लखोवाल ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो एक नहीं कई दिन तक या महीनों तक नहीं छोड़ेंगे दिल्ली.

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