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बीजेपी के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य ने सिंगल ब्रांड केंद्र सरकार की एफडीआई नीति पर सवाल खड़े किए हैं. गोविंदाचार्य का कहना है कि इन नीतियों को लागू करने की वजह आर्थिक सुधार हैं, लेकिन इसके परिणाम गंभीर होंगे.
गोविंदाचार्य का कहना है कि एफडीआई को लागू करने में राजनीति के बजाए, आर्थिक सुधारों की अहम भूमिका है. उन्होंने कहा है कि भारत के सामने ब्राजील का भी उदाहरण है, लेकिन इससे सबक नहीं लिया जा रहा है.
गोविंदाचार्य ने कहा है कि ब्राजील में बिना सोचे-समझे लागू किए गए शहरीकरण का दुष्परिणाम सबके सामने है. पूर्व बीजेपी नेता ने कहा है कि आज ब्राजील में जनसंख्या और लैंड मास का अनुपात गड़बड़ा गया है. अब भारत भी ब्राजील के नक्शेकदम पर चल रहा है.
उनका कहना है कि निर्माण क्षेत्र में एफडीआई को लाने से सारी कमाई बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर ले जाएंगी. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों या यहां के लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियां की दया पर निर्भर हो जाएंगी.
गोविंदाचार्य ने देश के हालात पर कहा कि आज देश में A-B-C-D जॉब की भी कमी हो गई है. A से अर्दली, B से बैरा, C से चौकीदार और D से ड्राइवर. उन्होंने कहा कि इस समय देश में आजीविका का भी संकट है.
गोविंदाचार्य का कहना है कि वैश्वीकरण अपने साथ छुपी हुई बेरोजगारी लेकर आएगा. उन्होंने इससे निपटने का तरीका भी बताया है. गोविंदाचार्य का कहना है कि सरकार को खेती और इस पर निर्भर उद्योगों पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा है कि इन उद्योगों में ज्यादा अवसर हैं. पूर्व बीजेपी नेता ने उम्मीद जताई, 'बीजेपी और आरएसएस इस बारे में विचार कर रहे होंगे. उन्हें सिंगल ब्रांड रिटेल में एफडीआई लाने के दुष्परिणाम जरूर पता होंगे. इसके गंभीर सामाजिक नतीजे भी होंगे.'
हालांकि, गोविंदाचार्य ने कहा कि वह खुद को आरएसएस की विचारधारा का नहीं मानते हैं. इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई कि बीजेपी और आरएसएस को मिलकर काम करना चाहिए और दोनों के बीच में वैचारिक मतभेद नहीं होना चाहिए.
आपको बता दें कि सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी है. बड़े उद्योगों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है तो छोटे व्यापारियों के संगठन कैट ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है. छोटे व्यापारियों का कहना है कि इससे खुदरा क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश काफी आसान हो जाएगा.