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बीसीसीआई ने जिंबाब्वे दौरे के लिए जो भारतीय टीम चुनी है, उसमें अगर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को छोड़ दिया जाए तो ये भारत की बी टीम ही है. बीसीसीआई ने आईपीएल से थके-हारे खिलाड़ियों का आराम देने के चक्कर में युवा खिलाड़ियों को मौका देने का जो दांव खेला है, वह उल्टा भी पड़ सकता है. बेशक जिंबाब्वे की टीम दूसरी अंतरराष्ट्रीय टीमों के मुकाबले कमजोर है, फिर भी इस टीम के साथ कप्तान धोनी के जिंबाब्वे में पसीने छूट सकते हैं.
जानें जिंबाब्वे का दौरा टीम इंडिया के लिए क्यों मुश्किल रहेगा...
1. अनुभवहीन टीम
धोनी को छोड़कर टीम के सभी खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेली ही नहीं. इस टीम के जिन खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल क्रिकेट खेली भी है, उनका भी अनुभव कोई बहुत खास नहीं है. धोनी के
लिए भी यह पहला मौका है, जब वे एक बिल्कुल अनुभवहीन टीम की कमान संभालेंगे.
2. 11 साल से जिंबाब्वे नहीं गए कप्तान धोनी
कप्तान धोनी को भले ही इंटरनेशल क्रिकेट खेलने का बहुत लंबा अनुभव है, लेकिन जिंबाब्वे में भी वे भी एक ही बार गए हैं. धोनी अपने करियर में सिर्फ एक बार 2005 में जिंबाब्वे गए थे, जब उन्होंने वहां लगातार
तीन मैचों में तीन अर्धशतक लगाए थे. कप्तान के तौर पर धोनी भी जिंबाब्वे में नहीं खेले क्योंकि 2005 में टीम इंडिया के कप्तान गांगुली थे.
3. अच्छे प्रदर्शन के बावजूद मौका मिलना मुश्किल
जसप्रीत बुमराह, अक्षर पटेल, अंबाति रायडू और मनीष पांडे को तो छोड़ दें तो इस टीम में ज्यादातर वो खिलाड़ी हैं, जिन्हें जिंबाब्वे में धमाकेदार प्रदर्शन के बावजूद भारतीय टीम में दोबारा जगह मिलना बहुत मुश्किल है.
भारतीय क्रिकेटर भी इस बात को समझते हैं कि जिंबाब्वे में कितना भी अच्छा प्रदर्शन कर लें, लेकिन उन्हें आगे आने वाली किसी सीरीज में अश्विन, धोनी, कोहली और रहाणे जैसे क्रिकेटरों की जगह तो टीम में शामिल
नहीं किया जाएगा. ऐसे में क्रिकेटर कैसे मजबूत हौसलों के साथ जिंबाब्वे में खेल पाएंगे?
4. हालात में ढालने का नहीं मिलेगा मौका
टीम इंडिया सिर्फ दस दिन में वनडे और ट्वंटी 20 सीरीज खेलेगी. दौरा शुरू होने से पहले भी प्रैक्टिस मैचों का अभी तक कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया है. ऐसे में भारतीय खिलाड़ी दो महीने आईपीएल खेलने के बाद
जिंबाब्वे के हालात में खुद को कैसे ढालेंगे? दो मैचों के बीच में एक दिन से ज्यादा का अंतर नहीं है. गनीमत है कि सभी मैच हरारे में रखे गए हैं, नहीं तो बीच का एक दिन भी एक शहर से दूसरे शहर पहुंचने में निकल
जाता.
5. पिछले दौरों से नहीं लिया सबक
जिंबाब्वे को हल्के में लेने की गलती टीम इंडिया ने 2010 में भी की थी, जब भारत जिंबाब्वे से उसी की धरती पर त्रिकोणीय वनडे सीरीज के दोनों मैच हारने के चलते फाइनल में भी जगह नहीं बना पाया था. उस दौरे में
तो फिर भी टीम में विराट कोहली, सुरेश रैना, रोहित शर्मा और अमित मिश्रा जैसे खिलाड़ी थी. इस बार तो पूरी टीम ही नई है. 2015 में भी टीम इंडिया जिंबाब्वे से एक टी 20 मैच हारी थी.