Advertisement

जानें- कौन है 'नृत्य समरागिनी' सितारा देवी, जिन पर गूगल ने बनाया डूडल

गूगल ने 'नृत्य साम्राज्ञी' सितारा देवी की 97वीं जयंती के मौके पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया. डूडल में कथक नृत्यांगना गुलाबी रंग के परिधान में नृत्य की मुद्रा में नजर आ रही हैं.

सितारा देवी पर गूगल डूडल सितारा देवी पर गूगल डूडल
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

गूगल ने 'नृत्य साम्राज्ञी' सितारा देवी की 97वीं जयंती के मौके पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया. डूडल में कथक नृत्यांगना गुलाबी रंग के परिधान में नृत्य की मुद्रा में नजर आ रही हैं. उनकी तस्वीर और उसके आसपास वाद्य यंत्र- घुंघरू, तबला और सितार मिलकर 'गूगल' शब्द को पूरा कर रहे हैं. बता  दें कि 16 साल की उम्र में उनकी प्रस्तुति से प्रभावित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें नृत्य समरागिनी कहा था.

Advertisement

विख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना का जन्म 1920 में कोलकाता (उस समय कलकत्ता) में रहने वाले बनारस के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता सुखदेव महाराज एक स्कूल शिक्षक थे लेकिन वह कथक भी करते थे. सितारा देवी ने 10 साल की उम्र से अकेले प्रस्तुति देना शुरू कर दिया था. जब उनका परिवार बंबई (अब मुंबई) में स्थानांतरित हुआ, तो उन्होंने आतिया बेगम पैलेस में कथक की प्रस्तुति दी, जो केवल चुनिंदा दर्शकों के लिए ही था.

 टेढ़े मुंह के साथ पैदा हुई थीं ये 'कथिक', ठुकरा चुकी हैं पद्म भूषण

इस कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू और पारसी परोपकारी सर कोवासजी जहांगीर शामिल थे. वहां बैठे टैगोर ने उनकी प्रस्तुति से प्रभावित होकर उन्हें 'नृत्य साम्राज्ञी' की उपाधि दे दी. सितारा देवी ने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल और न्यूयॉर्क के कार्नेगी हॉल जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कथक प्रस्तुति दी.

Advertisement

उन्हें संगीत नाटक अकादमी और 1973 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया था. हालांकि बाद में उन्होंने पद्म विभूषण पुरस्कार लेने से इंकार करते हुए कहा कि ये सम्मान नहीं अपमान है. 10 साल की उम्र से वो अकेले मंच पर कथक प्रस्तुति देती आ रही हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement