
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 71वें गणतंत्र दिवस के मौक़े पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. हालांकि परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री, अमर जवान ज्योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देते थे. लेकिन इस साल से यह परंपरा बदल गई है. बता दें पिछले साल 25 फरवरी को प्रधानमंत्री ने इसे देश को समर्पित किया था. इंडिया गेट परिसर में बने इस स्मारक में आज़ादी के बाद के सभी शहीद सैनिकों को याद किया गया है.
दरअसल, अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध और अफगान अभियान के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में इंडिया गेट का निर्माण कराया था. इंडिया गेट के स्तंभ पर तमाम शहीद सैनिकों के नाम लिखे नजर आते हैं.
क्या है अमर जवान ज्योति?
साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया था. यह स्मारक लगभग चार हज़ार सैनिकों को समर्पित किया गया था. यानी कि दोनों ही स्मारक खास अवधि के सैनिकों के लिए समर्पित था.
ऐसे में लंबे समय से मांग की जा रही थी कि आजादी के बाद के अन्य युद्धों में भी त्याग और बलिदान से वीरता की मिसाल कायम करने वाले सैनिकों को सम्मान देने के लिए एक अन्य राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए. इसलिए आजादी के बाद के सभी सैनिकों की क़ुर्बानी को याद करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है.
राष्ट्रीय समर स्मारक में चार चक्र
राष्ट्रीय समर स्मारक में 21 परमवीरचक्र विजेताओं की कांस्य की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. राष्ट्रीय समर स्मारक में भी अमर जवान ज्योति की तरह ही एक लौ जलती रहती है. राष्ट्रीय समर स्मारक को चार चक्रो में बांटा गया है.
पहला अमर चक्र, जो बीचो-बीच स्थित है. इसके अंदर 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जल रही है. यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता को दिखाता है.
दूसरा वीरता चक्र है. यह चक्र, थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई अहम लड़ाइयों में सैनिकों द्वारा दिखाई गई वीरता को दर्शाता है.
तीसरा त्याग चक्र है. इस चक्र में 25 हज़ार 942 सैनिकों के नाम दर्ज हैं. ये वो सैनिक हैं जिन्होने आज़ादी के बाद देश की रक्षा के लिए शहादत दी.
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और सबसे बाहरी चक्र यानी रक्षक चक्र. इस चक्र में पेड़-पौधों की पंक्ति बनाई गई है जो सैनिकों के प्रतीक के तौर पर लगाए गए हैं. ये उन सैनिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो दिन रात देश की सुरक्षा के लिए सीमा की निगेहबानी करते हैं.