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एक महिला टीचर ने स्कूल को बना दिया हाईटेक

यूपी के फतेहपुर के मलवां कस्बे में चल रहे एक स्कूल में बच्चों को हर वो सुविधाएं दी जा रही हैं जो शहर के किसी बड़े स्कूल के बच्चों को मिलती हैं.

एक महिला टीचर ने स्कूल को बना दिया हाईटेक एक महिला टीचर ने स्कूल को बना दिया हाईटेक
स्नेहा
  • फतेहपुर,
  • 06 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

यूपी के फतेहपुर में एक महिला टीचर के जज्बे की हर ओर तारीफ हो रही है. कम संसाधनों के बावजूद अपनी मेहनत के बलबूते उस महिला टीचर ने कस्बे के छोटे से प्राइमरी स्कूल को हाईटेक बना दिया है. इस सरकारी स्कूल में शहर के प्राइवेट स्कूलों से भी अच्छी तालीम दी जा रही है, वो भी बिल्कुल मुफ्त. जानिए कैसे हुआ यह सबकुछ...

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यूपी के फतेहपुर के मलवां कस्बे में चल रहे इस स्कूल में बच्चों को हर वो सुविधाएं दी जा रही हैं जो शहर के किसी बड़े स्कूल के बच्चों को मिलती हैं. अंतर बस इतना है कि शहर के स्कूल में जहां इसके लिए मोटी फीस वसूली जाती है वहीं फतेहपुर के इस स्कूल में सारी सुविधाएं मुफ्त हैं. कस्बे के इस स्कूल में बच्चों को हाईटेक शिक्षा देने का श्रेय जाता है यहां की प्रिंसिपल मैमूना खातून को. ये बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए उनके घर जाकर अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने की गुहार लगाती हैं क्योंकि गरीब बच्चे प्राइवेट स्कूल में शिक्षा नहीं ले सकते इसलिए उन्हें सारी सुविधाएं यहां दी जा रही है.

अपनी मेहनत के दम मैमूना खातून ने इस सरकारी स्कूल को इलाके का नंबर वन स्कूल बना दिया है. वो शिक्षा के प्रति अभिभावकों को जागरुक करने के लिए अकेले ही गांव-गांव घूमती हैं. लोगों को समझाती हैं कि वो बच्चों को स्कूल भेजे. ये इनती मेहनत का ही नतीजा है कि छोटे से कस्बे के स्कूल में कंप्यूटर से लेकर खेल-कूद की शिक्षा दी जा रही है. इतना ही नहीं कल्चरल एक्टिविज पर भी खास ध्यान दिया जाता है.

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वो बताती हैं कि यह प्रेरणा उन्हें अपनी गरीबी को देखते हुए मिली क्योंकि जब वो इन बच्चों के समान थी तभी उनके ऊपर से मां-बाप का साया उठ गया था और उन्होंने गरीबी से लड़ाई लड़कर अपने आप को व पूरे परिवार को शिक्षा दिलाई.

इस प्रयास के लिए प्रिंसिपल मैमूना खातून को कई अवॉर्ड और सरकारी अफसरों से प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं. उनका नाम राष्ट्रपति पदक सम्मान के लिए भी गया था, लेकिन किसी कारण से वो इसके लिए नहीं चुनी गई. इनके मुताबिक सरकारी स्कूल में टीचर अगर बच्चों को मेहनत से पढ़ाएं तो गांव के स्कूल भी शहर के कानवेंट स्कूल को मात दे सकते हैं.

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