Advertisement

जयंती: जानें, छत्रपति शिवाजी महाराज की जिंदगी से जुड़ी ये खास बातें

अपनी वीरता से मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले सम्राट छत्रपति शिवाजी की आज 388वीं जयंती है.

shivaji maharaj shivaji maharaj
प्रियंका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

अपनी वीरता से मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले सम्राट छत्रपति शिवाजी की आज 388वीं जयंती है. भारत के वीर सपूतों में से एक शिवाजी महाराज को कुछ लोग हिंदू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं. उनका जन्म 19 फरवरी 1630 में हुआ था.शिवाजी न सिर्फ एक महान शासक थे बल्कि दयालु योद्धा भी थे. जानें उनके बारे में ये खास बातें.

Advertisement

सेक्युलर शासक

शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे. उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है. शिवाजी एक सेक्युलर शासक थे और वे सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे. वह जबरन धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे. उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पद पर मौजूद थे. इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे. सिद्दी इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख था.

रामकृष्ण परमहंस, जिन्होंने स्वामी विवेकानंद को जिंदगी के गुर सिखाए थे

सैन्य रणनीतिकार

शिवाजी ने अपने सैनिकों की तादाद को 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया था. भारतीय शासकों में वो पहले ऐसे थे जिसने नौसेना की अहमियत को समझा. उन्होंने सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के किले तैयार किए. रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों को सही करने के लिए दुर्ग तैयार किया था.

Advertisement

एक वीर योद्धा

उनकी सेना पहली ऐसी थी जिसमें गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया. जमीनी युद्ध में शिवाजी को महारत हासिल थी, जिसका फायदा उन्हें दुश्मनों से लड़ने में मिला. पेशेवर सेना तैयार करने वाले वो पहले शासक थे.

जानें- थॉमस एडिसन के बारे में रोचक बातें

दूसरे धर्मों का सम्मान

वह एक धार्मिक हिंदू के साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते थे. वो संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का विस्तार चाहते थे. उनकी अदालत में पारसी की जगह मराठी का इस्तेमाल किया जाने लगा. ब्रिटिश इतिहासकारों ने उन्हें लुटेरे की संज्ञा दी लेकिन दूसरे स्वाधीनता संग्राम में उनकी भूमिका को महान हिंदू शासक के तौर पर दिखाया गया.

मुगलों के दुश्मन

शिवाजी ने 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखे थे. .यहां तक कि बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगजेब की मदद भी की लेकिन शर्त ये थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहे. दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच तल्खी शुरू हुई और दोनों के बीच ऐसी कई लड़ाईयां हुईं जिनका कोई हल नहीं निकला.

कभी पैसे बचाने के लिए ये काम करते थे कुमार विश्वास

खेल-खेल में सीखा किला जीतना

बचपन में शिवाजी अपनी उम्र के बच्चों को इकट्ठा कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे. जब वह बड़े हुए तो उनका ये खेल वास्तविक कर्म शत्रु बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे. जैसे ही शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया.

Advertisement

एक दयालु शासक

शिवाजी एक दयालु शासक के तौर पर भी याद किया जाता है. भरोसा दिलाया कि वो दुश्मन सेना के सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेंगे. संभव होगा तो अपनी सेना में उन्हें वही पद दिया जाएगा. पकड़ी गई किसी महिला को गुलाम की तरह नहीं रखा जाएगा. उन्हें इज्जत के साथ अपने घर भेजा जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement