
ये दूसरे विश्वयुद्ध का दौर था जब वॉल्टर डॉर्नबर्गर और वर्नर वॉन ब्रॉन नाम के दो इंजीनियरों ने नाजी सेना के लिए मिसाइल बनाई थी. ये बैलिस्टिक मिसाइल एक तरह का वी 2 रॉकेट था. इसका पहली बार प्रयोग लंदन पर हमले के लिए 1944 में किया गया था लेकिन मजेदार बात ये है कि इसका प्रयोग जर्मनी ने नहीं किया था. इस पहली मिसाइल का निर्माण और इससे जुड़ी कहानी काफी रोचक है.
भले ही आज अमेरिका-रूस मिसाइल और हथियारों के मामले में नंबर एक पर हों, लेकिन दुनिया की पहली मिसाइल जर्मनी ने बनाई थी. बाद में यहीं के वैज्ञानिकों ने रूस और अमेरिका के लिए मिसाइलें बनाईं. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने एक गांव को ही मिसाइल फैक्ट्री में बदल दिया था. इस गांव का नाम था पेनमुंडे जहां 1935 में जर्मन इंजीनियर वर्नर वॉन ब्रॉन ने अपना मिसाइल कारखाना शुरू किया.
इंजीनियर वाल्टर रॉबर्ट डॉर्नबर्गर का जन्म छह सितंबर में हुआ था. वो जर्मन सेना के तोपखाने के अधिकारी थे. इनके कार्यकाल में ही प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था. वो नाजी जर्मनी के V-2 रॉकेट कार्यक्रम और पीनम्यूंडे आर्मी रिसर्च सेंटर में अन्य परियोजनाओं को लीड कर रहे थे.
अक्टूबर 1918 में डॉर्नबर्गर को यूनाइटेड स्टेट्स मरीन द्वारा पकड़ लिया गया था और युद्ध शिविर में दो साल बिताए थे. उनके कई बार भागने की कोशिशों के चलते उन्हें एकांत कारावास में रखा गया.
अगर शिक्षा की बात करें तो डॉर्नबर्गर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री हासिल की थी. 1935 में डॉर्नबर्गर को एक मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली. जर्मनी सेना में वो 1944 में सीनियर आर्टिलरी कमांडर नियुक्त किए गए थे. 1945 में उन्होंने ऑपरेशन बैकफायर में हिस्सा लिया था. यहां उन्हें ब्रिटिश वॉर क्राइम्स इन्वेस्टिगेशन ने इस आरोप में पकड़ लिया था कि उन्होंने अपने वी 2 रॉकेट के बनाने में गुलाम मजदूरों से काम लिया था.
मंगल ग्रह पर मानव मिशन की वकालत करने वाले वर्नर मैग्नस मैक्सिमिलियन फ्रीहिर वॉन ब्रॉन एक जर्मन और बाद में अमेरिकी एयरोस्पेस इंजीनियर रहे. वो अपने आप में अनोखे अंतरिक्ष वास्तुकार थे. उनका जन्म 23 मार्च 1912 में हुआ था और मृत्यु साल 1977 में हुई. जर्मनी में रॉकेट प्रौद्योगिकी के विकास में अग्रणी रहे वर्नर संयुक्त राज्य अमेरिका में भी रॉकेट प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान के अग्रणी व्यक्ति थे.
वॉन ब्रॉन ने नाजी जर्मनी के रॉकेट विकास कार्यक्रम में काम किया. सेकेंड वर्ल्ड वॉर के वक्त उन्होंने जर्मनी में V-2 रॉकेट को डिजाइन और विकसित करने में मदद की. युद्ध के बाद, वो ऑपरेशन पेपरक्लिप का हिस्सा बने और करीब 1,600 अन्य जर्मन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के साथ गुप्त रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका ले जाए गए. यहां उन्होंने यूएस की सेना के लिए एक मध्यवर्ती श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर काम किया, और उन्होंने उन रॉकेटों को विकसित किया जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला अंतरिक्ष उपग्रह एक्सप्लोरर लॉन्च किया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रॉकेट के परीक्षण के बाद ये दोनों वैज्ञानिक मान रहे थे कि इसकी मदद से वो दूसरा विश्व युद्ध आसानी से जीत जाते. जर्मनी में नए हथियारों के विकास के जिम्मेदार अल्बर्ट स्पीर भी इससे सहमत थे. मगर जर्मनी के तानाशाह हिटलर को इस पर यकीन नहीं था.
इसी वजह से जर्मनी की सरकार ने रॉकेट के सफल परीक्षण को ज़्यादा भाव नहीं दिया. जब हिटलर ने 1939 में युद्ध की घोषणा की तो वो वो कारखाना पूरी तरह से तैयार नहीं था. फिर 1943 में डॉर्नबर्गर और वॉन ब्रॉन ने A-4 रॉकेट के कामयाब परीक्षण की एक फिल्म हिटलर को दिखाई. इसे देखकर हिटलर ने इस पहली मिसाइल के निर्माण को हरी झंडी दी. मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी. जर्मन फौजें तमाम मोर्चे पर हार गई थीं.