
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट इतना खास क्यों होता है ये एशिया कप टी20 के महामुकाबले में एक बार फिर देखने को मिला जब दोनों टीमों के बीच प्रतिद्वंद्विता अपने चरम पर थी. यह मैच जिसने भी देखा वो अपनी सांसें थाम कर बस देखता ही गया.
जब टीम इंडिया बॉलिंग कर रही थी, पाकिस्तानी विकेट तेजी से गिर रहे थे और 83 पर पाकिस्तान को ऑल आउट करने के बाद तो सभी भारतीय प्रशंसकों को यह जरूर लगने लगा था कि मैच एकतरफा ही होगा लेकिन जिस तरह मोहम्मद आमिर ने पहले ही ओवर की चार गेंदों पर रोहित और रहाणे को चलता करने के बाद अगले ओवर में रैना को भी पवेलियन की राह पकड़ा दी तो मैच पाकिस्तान के पलड़े में झुक गया. लेकिन यह मैच आने वाले वक्त में कोहली-आमिर युग के आरंभ के तौर पर याद किया जाएगा.
पहले तीन ओवर्स में 8 रन पर तीन विकेट खो चुकी टीम इंडिया के सामने एक समय 83 रन भी बहुत बड़ा स्कोर दिखने लगा था लेकिन ऐसे में एक ओर उप कप्तान और न केवल टीम के बल्कि पूरी दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज विराट कोहली ने बागडोर संभाल रखी थी तो दूसरी ओर टीम के पूर्व उप कप्तान और भारत को दोबारा वनडे वर्ल्ड कप दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले युवी खड़े थे. इन दोनों ने यहां से वो पारी खेली जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है.
आज की बल्लेबाजी ये बताने के लिए काफी है कि क्यों कोहली बाकी बल्लेबाजों से अधिक दमदार हैं. वो मोहम्मद आमिर को बहुत आसानी से मैनेज कर रहे थे. वो आमिर को बस रोकने की कोशिश कर रहे थे. उनके दिमाग में मैच के दौरान क्या चल रहा था वो उन्होंने मैच के बाद पुरस्कार दिए जाने के दौरान बताया. उन्होंने मुश्किल विकेट पर घातक आमिर को उनकी शानदार बॉलिंग के लिए मैच के दौरान ही बधाई दी. मुश्किल हालात की समझ और उस पर शानदार गेंदबाजी कर रहे बॉलर को सम्मान देना, यही तो किसी क्रिकेटर को बड़ा बनाता है. यानी टीम की बागडोर एक ऐसे कुशल, योग्य, सूझबूझ और दूरदर्शी दिमाग के पास जा रहा है जो उसे पूरी दुनिया में टीम का झंडा ऊंचा करने से नहीं रोक सकता.
अगर भारत पाकिस्तान के बीच आने वाले दिनों में द्विपक्षीय सीरीज खेली जाती है तो इन दोनों के बीच होने वाला मुकाबला वकार-जडेजा, सचिन-अकरम, कपिल-मियांदाद, इमरान-गावस्कर और वेंकटेश-सोहेल की याद जरूर दिलाएगा. यहां ये बताना जरूरी है कि 2013 से पहले जहां विराट कोहली का जीत में 53.3 योगदान था वो इसके बाद से बढ़कर 89.4 फीसदी हो गया है. ऑस्ट्रेलिया के दौरे से पहले तक कोहली जहां चौथे सबसे अधिक रन बनाने वाले टी20 बल्लेबाज थे वहीं अब वो बड़े अंतर के साथ नंबर एक पर बैठे हैं. इस फॉर्मेट के लिए वो जिस तरह से ढाल चुके हैं उससे वर्ल्ड टी20 टूर्नामेंट में भारत की दावेदारी और भी मजबूत होती दिख रही है.
ऐसी बॉलिंग देखी नहीं
धोनी ने जब टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करने का निर्णय लिया तो उनके दिमाग में कहीं भी ऐसा नहीं होगा कि वो पाकिस्तान को 100 से कम पर रोक लेंगे. पहले ही ओवर में नेहरा ने पहले ही ओवर में मोहम्मद हाफिज को चलता कर विकेट के पतझड़ की शुरुआत कर दी. उनकी गेंदों पर रन बनाना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो गया था. नेहरा लय में थे तो धोनी ने भी उनसे लगातार तीन ओवर्स फेंकवा डाले. उनकी 18 गेंदों पर दो चौके समेत कुल 18 रन ही बन सके. दूसरी छोर से बुमरा उनका बखूबी साथ दे रहे थे. बुमरा का पहला ओवर मेडेन गया. अगली ओवर में दो चौके लगे तो एक विकेट भी उन्होंने झटक लिया. इन दोनों के छह ओवर्स तक पाकिस्तान के तीन विकेट गिर चुके थे और स्कोरकार्ड पर पाकिस्तान के खाते में केवल 32 रन जुड़े थे.
इसके बाद पांड्या और युवराज ने विकेट ताश के पत्ते की तरह बिखेर दिए. पंड्या ने आते ही शोएब मलिक को चलता किया और हवा में उछलते हुए अपने दोनों पैर की एड़ी को टकराने के खास अंदाज में उसका जश्न भी मनाया. 32 से 42 तक पहुंचने में पाकिस्तान के तीन और विकेट निकल गए. रही सही कसर जडेजा ने पूरी की. जडेजा सीधी गेंद फेंक रहे थे. राउंड द विकेट बॉलिंग करते हुए वो पाकिस्तानी क्रिकेटर्स के लिए आज टेरर बन गए. उन्होंने अपनी बॉलिंग और बैटिंग के जरिए ये बता दिया कि आप फील्ड में न केवल बैट और बॉल से बल्कि फील्डिंग से भी टीम के लिए अहम योगदान दे सकते हैं.
मैदान पर चीते की फूर्तिकितना महत्वपूर्ण था ये मैच दोनों टीमों के लिए इसका इससे ही पता चलता है कि दोनों टीमें सुरक्षित खेलना चाहती थीं और मैच के दौरान एक भी छक्का नहीं जड़ा गया. यह ऐसा केवल पांचवा मैच है जब किसी अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच में कोई छक्का नहीं लगा.