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कोहली ने कंगारुओं को उनके ही तीर से किया घायल

एडिलेड टेस्ट बेशक भारत हार गया हो लेकिन यह मैच हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. भारत के कार्यवाहक कप्तान विराट कोहली ने जिस तरह की बल्लेबाजी की यह शायद पहले कभी नहीं हुई. बतौर टेस्ट कप्तान डेब्यू करते हुए कोहली ने दोनों पारियों में शतक बनाया. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल भी यह कारनामा कर चुके हैं.

विराट कोहली विराट कोहली
मोहम्मद इकबाल
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

एडिलेड टेस्ट बेशक भारत हार गया हो लेकिन यह मैच हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. भारत के कार्यवाहक कप्तान विराट कोहली ने जिस तरह की बल्लेबाजी की यह शायद पहले कभी नहीं हुई. बतौर टेस्ट कप्तान डेब्यू करते हुए कोहली ने दोनों पारियों में शतक बनाया. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल भी यह कारनामा कर चुके हैं. लेकिन कोहली ने उनको भी पीछे छोड़ दिया. चैपल ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध 1975 में एक मैच की दोनों पारियों में 123 और 109 (232) रन बनाए थे. कोहली ने उनको पीछे छोड़ते हुए 115 और 141 (256) रनों की पारी खेली और डेब्यू कप्तान के रूप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड बना डाला.

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कप्तान के तौर पर जो आक्रामकता एक समय सौरव गांगुली में दिखा करती थी, वही आक्रामकता अब कोहली में दिखती है. अब से पहले मानसिक और जुबानी जंग में अक्सर भारतीय खिलाड़ी कंगारुओं से हारते हुए दिखे थे, लेकिन कोहली ने एक नए युग की शुरुआत कर दी. कप्तान के तौर पर जिस एग्रेशन के साथ कोहली ने अपने खिलाड़ियों का सपोर्ट किया वह वाकई देखने लायक था. डेविड वार्नर और स्टीवन स्मिथ जब भारतीय खिलाड़ियों से उलझे तो कोहली ने फौरन बीच में आकर उनको अपने हद में रहने की नसीहत दे डाली. कोहली ने सिर्फ जुबान से ही नहीं बल्कि अपने प्रदर्शन से भी साबित कर दिया कि वह कंगारुओं की तुलना में मानसिक रूप से कहीं भी कमजोर नहीं हैं.

हालांकि कई लोग कोहली के इस आक्रामक स्वाभाव को टेस्ट मैच हारने के लिए भी जिम्मेदार मानते हैं. कई लोगों का मानना होगा कि अगर इतने आक्रामक न होते तो टेस्ट मैच ड्रॉ हो सकता था. उन लोगों के लिए कोहली का सीधा सा जवाब था कि पांच दिन का क्रिकेट खेलने के बाद आप ड्रॉ के लिए नहीं जीत के लिए खेलते हैं. कोहली की इस बात में दम भी है क्योंकि टी-20 के आ जाने से टेस्ट मैचों की चमक फीकी पड़ी है, ऐसे में अगर वाकई टेस्ट क्रिकेट को जिन्दा रखने में कोई चीज मददगार हो सकती है तो वो है इस तरह के रोमांचक मैच.

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....जब माइकल क्लार्क को कोहली में दिखी तेंदुलकर की झलक
एडिलेड टेस्ट के बाद ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि जो खतरा हमें सचिन तेंदुलकर से महसूस होता था वही आज कोहली से हो रहा है. जो रणनीति हम सचिन को आउट करने के लिए बनाते थे वही आज कोहली का विकेट लेने के लिए बनानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह की मुश्किल कंडीशन में कोहली ने बल्लेबाजी करते हुए लगभग भारत को जीता दिया था, वाकई उन्होंने आज अपना क्लास दिखा दिया.

कोहली ने कहा मुझे ऑस्ट्रेलियन का अंदाज है पसंद
कहते हैं लोहे को लोहा ही काटता है. मैच जीतने के लिए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी अक्सर स्लेजिंग का सहारा लेते रहे हैं. सीरीज जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी यहां भी गर्मी बढ़ेगी. इधर विराट कोहली ने भी कह दिया है कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट खेलने का अंदाज पसंद है. इशारों-इशारों में कोहली ने साफ कर दिया है कि अगर कंगारुओं ने हद पार करने की कोशिश की, तो ये भी पीछे नहीं रहेंगे.

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