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राजीव गांधी जैसे एक और हत्याकांड की फिराक में हैं नक्सली: पुलिस

गिरफ्तार पांच व्यक्तियों में से एक के घर में कथित रूप से एक पत्र मिला है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि माओवादी 'एक और राजीव गांधी कांड' की योजना बना रहे हैं.

जैकब विल्सन के घर मिली चिट्ठी से हुआ साजिश का खुलासा जैकब विल्सन के घर मिली चिट्ठी से हुआ साजिश का खुलासा
आशुतोष कुमार मौर्य/पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 08 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बीते दिनों हुई पांच गिरफ्तारियों के बाद नक्सलियों की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. पुणे पुलिस का कहना है कि उसे ऐसे सबूत मिले हैं, जिसमें नक्सलियों द्वारा 'राजीव गांधी हत्याकांड' की तर्ज पर एक और कांड किए जाने की साजिश रचे जाने का पता चला है.

पुलिस ने गुरुवार को पुणे कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित नक्सलवादी संगठन भाकपा (माओवादी) से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार पांच व्यक्तियों में से एक के घर में कथित रूप से एक पत्र मिला है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि माओवादी 'एक और राजीव गांधी कांड' की योजना बना रहे हैं.

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पुलिस ने पुणे में पिछले साल आयोजित 'एलगार परिषद ' के अगले दिन हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मुंबई से दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, नागपुर से वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राउत और दिल्ली से शोमा सेन तथा रोना जैकब विल्सन को गिरफ्तार किया है.

पांचों आरोपियों को गुरुवार को पुणे की सत्र अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत से कहा कि दिल्ली में रोना विलसन के घर पर मिले पत्र में एम-4 राइफल और गोलियां खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत की बात लिखी है. साथ ही उसमें 'एक और राजीव गांधी कांड' का जिक्र भी किया गया है.

बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था. इस परिषद के दूसरे दिन यानी 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव भीमा में हिंसा हुई थी. हिंसा के लिए एलगार परिषद के भी जिम्मेदार होने का आरोप लगाया जा रहा है. इसमें नेताओं पर भड़काऊं भाषण देने का आरोप लगा है. जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद पर भी केस दर्ज हुआ है.

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क्या हुआ था भीमा कोरेगांव में...

पुणे में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं बरसी के दौरान हिंसा भड़कने से पूरे महाराष्ट्र में तनाव फैल गया था. इसके बाद महाराष्ट्र में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया था. उस वक्त बताया गया कि हिंसा भड़कने की असली वजह दलित गणपति महार का समाधि स्थल था, जिसे कथित तौर पर हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े लोगों ने 29 दिसंबर को क्षतिग्रस्त कर दिया था.

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