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प्रगट भए नंदलाला, मथुरा में गूंजा जय कन्हैया लाल की

भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है.

Krishna Janmashtami 2018 Krishna Janmashtami 2018
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:53 AM IST

भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2018) हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. भक्ति के रंग में मथुरा से लेकर मुंबई तक लोग सराबोर हैं. रात 12 बजते ही मथुरा में 'जय कन्हैया लाल की' गूंजने लगा. यहां रजतकमल में से बाल गोपाल का जन्म हुआ. उसके बाद लड्डूगोपाल का अभिषेक किया गया. 

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इस बार जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. देश के कुछ हिस्सो में रविवार को जन्माष्टमी मनाई गई लेकिन ज्यादातर हिस्सों में सोमवार को जन्माष्टमी मनाई गई. देश के सभी कृष्ण मंदिर जगमगा रहे हैं. हर जगह कृष्णभक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. सर्वाधिक उल्लास मथुरा में है. मुंबई में इस महापर्व का कुछ ज्यादा ही उत्साह है, जहां गोविंदा टोलियों पर दही हांडी फोड़ने का खुमार देखा जा रहा है. मथुरा में जगह-जगह भगवान कृष्ण के मंदिरों में श्रीकृष्ण भक्तों की भीड़ लगी हुई है. सिलेब्रिटीज से लेकर राजनेता तक सभी श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबे दिखाई दिए. जगहों-जगहों पर दही हांडी फोड़ी गईं.

इस्कॉन मंदिर, वृंदावन में LIVE देखिए जन्माष्टमी की धूम-

दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में साज-सज्जा के साथ सुबह पहली आरती के साथ कृष्ण जन्म उत्सव की शुरुआत हुई. यहां बड़ी तादाद में भक्त अपने भगवान कान्हा के दर्शन के लिए पहुंचे. इस्कॉन मंदिर से देखिए LIVE-

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केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी जन्माष्टमी मनाई जा रही है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी लोग भगवान कृष्ण की पूजा में लगे हैं. साल 2015 में आया विनाशकारी भूकंप लगभग सब कुछ जमींदोज कर गया था. इसमें ललितपुर का मशहूर श्रीकृष्ण मंदिर भी था. इस साल जन्माष्टमी के दिन इसे दोबारा खोला गया जहां हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने माथा टेका और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद लिया.

करें कृष्ण लीलाओं का श्रवण और गीतापाठ-

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्यंत कठिनाई में मातुल कंस की जेल में हुआ. पिता वसुदेव ने उफनती यमुना को पार कर रात्रि में ही उन्हें वृंदावन में यशोदा-नन्द के घर छोड़ा. यशोदानंदन को खोजने और मारने कंस ने कई राक्षस-राक्षनियों को वृंदावन भेजा. नन्हे बालगोपाल ने स्वयं को इनसे बचाया. इंद्र के प्रकोप और घनघोर बारिश से वृंदावनवासियों को बचाने गोवर्धन पर्वत उठाया. मनमोहन ने गोपिकाओं से माखन लूटा. गाएं चराईं. मित्र मंडली के साथ खेल खेल में कालियादह का मानमर्दन किया. बृजधामलली राधा और अन्य गोपियों के साथ रास किया. कंस वध किया.

बालमित्र सुदामा से द्वारकाधीश होकर भी दोस्ती को अविस्मृत रखा. द्रोपदी का चीरहरण निष्प्रभावी किया. धर्मपालक पांडवों की हर परिस्थिति में रक्षा की. अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया. द्वारकापुरी की स्थापना की.

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