
कुलभूषण जाधव केस पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है. विपक्षी दलों से लेकर आम जनता के बीच गम पसर गया है. इस बीच वहां से अजीबो-गरीब बहानेबाजी भी सामने आ रही है. अब पाकिस्तान में उनके वकीलों की फीस को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं.
PPP नेता ने किया करोड़ों के खर्च का दावा
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता शयरी रहमान ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में पाकिस्तान का पक्ष रखने गए डेलीगेशन की फीस का बहाना बनाकर अपनी खटास निकाली है.
पीपीपी नेता ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार ने वकीलों को करोड़ों रुपये दिए. उन्होंने कहा कि हमारा केस मजबूत है और भारत ने कुछ क्लॉज़ का गलत इस्तेमाल किया है. पीपीपी नेता ने नवाज सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार क्या कर रही है.
7 करोड़ का खर्च
पाकिस्तानी टीवी डिबेट्स में वकीलों पर खर्च को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने वकीलों पर करीब सात करोड़ रुपया खर्च किया है.
भारतीय वकील की फीस 1 रुपया
पाकिस्तानी वकीलों पर भले ही करोड़ों का खर्च होने के दावे किए जा रहे हों लेकिन भारतीय वकील कुलभूषण जाधव को बचाने के लिए बिना फीस इंटरनेशनल कोर्ट पहुंच गए हैं. इंटरनेशनल कोर्ट में भारत का पक्ष रखने वाले मशहूर वकील हरीश ने महज एक रुपये की फीस ली है.
सुषमा ने किया था फीस का खुलासा
दरअसल फिल्मकार और समाजसेवी अशोक पंडित ने हरीश साल्वे को लेकर एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, 'भगवान का शुक्र है कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में कांग्रेस के कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद नहीं बल्कि हरीश साल्वे पैरवी कर रहे थे.'
साल्वे के ट्वीट पर गोयल संजीव नाम के एक यूजर ने लिखा था, ' कोई भी अच्छा वकील हरीश साल्वे से कहीं कम खर्च में ऐसे ही पैरवी करता. हमें फैसले का इंतजार करना चाहिए.'
इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद एक्शन में आ गईं. उन्होंने ट्वीट किया, 'ये सही नहीं है. हरीश साल्वे ने हमसे ये केस लड़ने के लिए सिर्फ 1 रुपये फीस ली है.'
फिलहाल इंटरनेशनल कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि इस केस में आखिरी आदेश आने तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक जारी रहेगी. इससे पहले कोर्ट ने 10 मई को जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जिसके बाद 15 मई को भारत और पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट में अपना-अपना पक्ष रखा. कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद 18 मई को अपना आदेश सुनाया.