
इंडिया के रिटायर्ड नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव (50) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के झूठे मुकदमे में मौत की सजा सुनाई है.
पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को लेकर बवाल इतना बढ़ा कि वहां के कानून और न्याय मंत्रालय को सफाई देनी पड़ी. कानून और न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता ने 18 जुलाई को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि गुप्त अध्यादेश के जरिए कुलभूषण जाधव की सजा को खत्म करने के आरोप गलत हैं.
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डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनेटर रजा रब्बानी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार आखिर इस अध्यादेश को अबतक पाकिस्तान की संसद में पेश क्यों नहीं कर रही है. पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने कहा है कि देश की संसद को बिना विश्वास में लिए संवैधानिक प्रावधानों का पालन किए बिना सरकार ने कुलभूषण जाधव को लेकर एक अध्यादेश जारी किया है.
बता दें कि पाकिस्तान ने 20 मई को कुलभूषण जाधव को लेकर एक अध्यादेश (The International Court of Justice (Review and Reconsideration) Ordinance, 2020) जारी किया था.
इस अध्यादेश को पाकिस्तान ने अपनी संसद के किसी सदन में पेश नहीं किया है. लिहाजा वहां का विपक्ष इमरान सरकार पर आरोप लगा रहा है कि एक गुप्त अध्यादेश के जरिए कुलभूषण जाधव को राहत देने की कोशिश की जा रही है.
इस अध्यादेश के बाद पूर्व नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट के द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाई कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर सकते हैं. ये समीक्षा याचिका इस अध्यादेश के वजूद में आने के 60 दिन बाद तक दायर करनी है.
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बता दें कि पिछले साल जुलाई में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कहा था कि पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को सुनाई गई सजा के खिलाफ समीक्षा और पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार देना चाहिए. इसके अलावा बिना देर किए हुए पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को काउंसलर मीटिंग की सुविधा दे.
पाकिस्तान के कानून मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले से बंधा है कि वो कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने का अधिकार दे. कानून मंत्रालय ने पाकिस्तान के विपक्षी दलों को समझाते हुए कहा है कि वहां की संघीय सरकार के फैसले पर उंगली उठाने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की गलत छवि बनती है.