
आम आदमी पार्टी के भीतर चल रहा झगड़ा नए मोड़ पर आ गया है. 2 नवंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के लिए तैयार किए गए एजेंडे से कुमार विश्वास को गायब कर दिया गया है. 'आजतक' के पास मौजूद एजेंडे के मुताबिक, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलने वाली बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है, लेकिन पार्टी की तरफ से भेजे गए एजेंडे में कुमार पूरी तरह साइडलाइन कर दिए गए हैं.
अमानतुल्ला खान का निलंबन रद्द होने पर नाराजगी जाहिर कर चुके कुमार विश्वास को पार्टी की ओर से एक बड़ा झटका लगा है. पार्टी कार्यकर्ताओं की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में, कुमार का नाम वक्ताओं की सूची तक में शामिल नहीं है.
'आजतक' के पास मौजूद AAP के एजेंडे के मुताबिक-
-सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक रजिस्ट्रेशन और नाश्ते के लिए समय तय किया गया है.
-10:30 मिनट पर कार्यक्रम की शुरुआत के साथ मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा देंगे.
-11 बजे गोपाल राय दिल्ली में संगठन के विस्तार पर चर्चा करेंगे.
-11:30 बजे संजय सिंह देश में मौजूदा अर्थव्यवस्था, रोजगार और किसानों के हालात पर बातचीत करेंगे.
-12 बजे से 1:30 बजे तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ग्रुप बनाकर बैठक में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
-2 बजे से 4:15 बजे तक तमाम ग्रुप अपने-अपने राज्य में पार्टी संगठन की मौजूदा स्तिथि पर प्रेजेंटेशन सौपेंगे.
-नेता आशुतोष को 4:15 से 4:30 बजे तक राजनीतिक प्रस्ताव रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
-सबसे आखिर में 4:30 बजे मुखिया अरविंद केजरीवाल अपने कार्यकर्ताओं का संबोधन करेंगे.
हैरानी की बात यह है कि काफी पहले तैयार कर लिए गए एजेंडे में कुमार विश्वास का नाम कहीं भी नजर नहीं आ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि गोपाल राय दिल्ली के संगठन पर तो चर्चा करेंगे, लेकिन एजेंडे में राजस्थान का प्रभार संभाल रहे विश्वास के लिए कोई जगह नहीं है. खुद कुमार भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि अबतक की तमाम राष्ट्रीय परिषद की बैठकों में कार्यक्रम का संचालन वही करते थे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आम आदमी पार्टी एक बार फिर टूटने की कगार पर आ गई है?
पूरे मामले को लेकर 'आजतक' ने आम आदमी पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं का संपर्क भी किया, लेकिन सभी ने प्रतिक्रिया देने से साफ इनकार कर दिया है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय परिषद में लगभग 300 सदस्य हैं, जबकि मनोनीत सदस्यों की संख्या 150 के आसपास है. साथ ही मनोनीत सदस्यों को बैठक के दौरान किसी भी मामले में वोट करने का अधिकार भी नहीं होता है.
फिलहाल अरविंद केजरीवाल टीम और कुमार विश्वास टीम के बीच चल रहे शीत युद्ध से कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्तिथि देखी जा सकती है. साथ ही सवाल यह भी उठता है कि 6 महीने पहले कुमार के समर्थन में खड़े रहने वाले विधायक क्या अब भी अपने फैसले पर कायम रहेंगे.