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आम आदमी पार्टी में लगाए जा रहे हैं 'एंटी वायरस', कुमार ने गिनाए काम

आम आदमी पार्टी वर्जन-2 का मतलब समझाते हुए कुमार ने कहा कि पार्टी में कुछ एंटी वायरस लगाए जा रहे हैं. अब ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जो  सच-सच बताएंगे कि संगठन में कहां दिक्कतें आ रही हैं, सरकार कैसे चल रही है, विधायकों के कार्यों की परख, वे जमीनी हकीकत को नेतृत्व तक पहुंचाने का काम करेंगे.

कुमार विश्वास (फाइल फोटो) कुमार विश्वास (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

आम आदमी पार्टी के अंदरूनी झगड़े के नए अध्याय रोजाना सामने आ रहे हैं. रविवार को पार्टी के बड़े नेता कुमार विश्वास ने नाराज़ कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान ऐलान किया कि मौजूदा वक्त में 'आप' को वर्जन-2 की जरूरत है. इसका मकसद नई पार्टी बनाना नहीं है, बल्कि संगठन को 'बैक टू बेसिक' पर लेकर जाना है.

कुमार विश्वास का पार्टी नेतृत्व के खिलाफ तीखे तेवर का सिलसिला थम नहीं रहा है. उनके मुताबिक आंदोलन के वक्त रामलीला मैदान में 5 लाख लोग थे, लेकिन 5वें स्थापना दिवस पर आम आदमी पार्टी 5 हजार कुर्सियों पर आ गई. ऐसा क्यों हुआ, उसकी वजहों को तलाशने की जरूरत है.

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कुमार ने रामलीला मैदान से मंच पर बैठे तमाम पार्टी के बड़े नेताओं को अपनी कड़वी बातों से हैरान कर दिया था. कार्यकर्ताओं से संवाद की वजह बताते हुए कुमार ने कहा कि जो कार्यकर्ता पीछे छूट गए हैं, उन्हें वापस जोड़ने की आवश्यकता है. जिन लोगों को पार्टी से बाहर किया गया, अगर वे खुद की गलतियां स्वीकार करते हैं, तो उन्हें वापस लिया जाना चाहिए. इस बीच विश्वास ने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी नेताओं को अपनी खामियां भी देखनी होगी.

आम आदमी पार्टी वर्जन-2 का मतलब समझाते हुए कुमार ने कहा कि पार्टी में कुछ एंटी वायरस लगाए जा रहे हैं. अब ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जो  सच-सच बताएंगे कि संगठन में कहां दिक्कतें आ रही हैं, सरकार कैसे चल रही है, विधायकों के कार्यों की परख, वे जमीनी हकीकत को नेतृत्व तक पहुंचाने का काम करेंगे. कुमार का दावा है कि इस नए प्रयोग का बड़ा फायदा आम आदमी पार्टी को ही मिलेगा.

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कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान कुमार विश्वास ने बेहद दिलचस्प दावा किया. कुमार ने बताया कि 'बैक टू बेसिक' पर अरविंद केजरीवाल भी सहमति जता चुके हैं. कुमार ने आगे कहा कि 'पार्टी का आंदोलन केजरीवाल की किताब 'स्वराज' के अनुसार खड़ा हुआ, तो वे क्यों नहीं चाहेंगे? वे बिल्कुल चाहते हैं. रामलीला मैदान में कहा था कि पहले देश को, फिर दल को और उसके बाद नेता को रखो. अरविंद ने भी बाद में संजीदगी से कहा कि पार्टी के लोगों को संदेश दिया है कि हम जहां से चले थे, वहीं लौटना है'.

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