
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में शताब्दी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ शुरू हुए तीन दिन ही हुए हैं, लेकिन यहां की अव्यवस्थाएं देखकर साधु-संतों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने रविवार को चेतावनी दी कि अगर यही हाल रहा तो वे मेला-स्थल छोड़ देंगे.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि पहले शाही स्नान में प्रशासनिक गड़बड़ी के कारण सभी को परेशानी का सामना करना पड़ा. प्रशासन ने भी माना है कि पहले शाही स्नान के दौरान गलती हुई. उन्होंने कहा कि प्रशासन को गलती सुधारने का मौका दिया गया है. यदि सुधार नहीं हुआ तो वे मेला छोड़कर चले जाएंगे.
इससे पहले अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली. उनका कहना है कि शाही स्नान में सबसे पहले नागा और साधु-संत स्नान करते हैं. उसके बाद आम लोग नहाते हैं. लेकिन उज्जैन के संभागायुक्त और जिलाधिकारी ने परंपराओं का मजाक उड़ाया और खुद पहले डुबकी लगा ली. उन्होंने कहा कि वैसे तो ये अधिकारी जिम्मेदार ओहदे पर हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारी न निभाते हुए उन्होंने संतों की परंपरा का मजाक उड़ाया है. अगर उन्हें ही पहले स्नान करना था तो इतने साधुओं को बुलाकर शाही स्नान का 'नाटक' कराने की क्या जरूरत थी.
परिवहन मंत्री ने दिया सुधार का भरोसा
राज्य के परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने साधुओं द्वारा दी गई चेतावनी पर कहा कि व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा. साथ ही अगले शाही स्नान में सभी 13 अखाड़ों को शामिल किया जाएगा. पहले शाही स्नान में अपेक्षा से बहुत कम श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे. सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि पहले शाही स्नान में 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेंगे. लेकिन यह आंकड़ा 10 लाख तक भी नहीं पहुंचा. साधु-संतों को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा.