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कौन डकार रहा है दिल्ली के कंस्ट्रक्शन मजदूरों का पैसा?

बता दें कि नाराज़ अफसरों में ज्वाइंट लेबर कमिश्नर, एडीशनल लेबर कमिश्नर, इन्वेस्टीगेशन अफसर रैंक के अफसर शामिल थे. सभी अफसर लेबर सेक्रेटरी संजय कुमार सक्सेना से मिले और उन्हें कंस्ट्रक्शन वेलफेयर फंड में हो रही गड़बड़ी की जानकारी दी. साथ ही इन अफसरों ने कहा है कि गड़बड़ियों के चलते वो अब नए मजदूरों का रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण का काम नही करेंगे.

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अंकुर कुमार/कपिल शर्मा
  • @kapil_news,
  • 20 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:03 PM IST

दिल्ली में कंस्ट्रक्शन मजदूरों के हक के सैकड़ों करोड़ रूपए गड़बड़ी कर हड़पे जाने का मामला सामने आया है. इसे सामने लाने वाला कोई और नहीं दिल्ली सरकार श्रम विभाग के वो अफसर हैं, जिन्हें कंस्ट्रक्शन के काम में लगे मजदूरों के सत्यापन के काम में लगाया गया है. हालांकि इस गड़बड़झाले को लेकर कई बार सरकार का ध्यान दिलाया गया, लेकिन जब गड़बड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो सारे अफसरों ने काम करने से मना कर दिया. दिल्ली सरकार के लेबर डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के पास पहुंच गए.

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बता दें कि नाराज़ अफसरों में ज्वाइंट लेबर कमिश्नर, एडीशनल लेबर कमिश्नर, इन्वेस्टीगेशन अफसर रैंक के अफसर शामिल थे. सभी अफसर लेबर सेक्रेटरी संजय कुमार सक्सेना से मिले और उन्हें कंस्ट्रक्शन वेलफेयर फंड में हो रही गड़बड़ी की जानकारी दी. साथ ही इन अफसरों ने कहा है कि गड़बड़ियों के चलते वो अब नए मजदूरों का रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण का काम नही करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने जो शिकायत की है, उसमें कहा गया है कि पिछले तीन साल के दौरान दिल्ली में कंस्ट्रक्शन मजदूरों की 50 से ज्यादा यूनियन बन चुकी हैं. दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन बोर्ड के नियमों के मुताबिक यूनियन को मान्यता दिए जाने के नियम बेहद सामान्य है और इनका फायदा उठाकर कई फर्जी यूनियनों ने भी मान्याता हासिल कर ली है. यूनियनों को नए कंस्ट्रक्शन मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की सिफारिश करने और वेरिफाई करने का अधिकार है. ऐसे में हज़ारों की संख्या में ऐसे मजदूरों को इन यूनियनों ने मजदूरों के तौर पर पंजीयन करा दिया, जो दरअसल मजूदूरी करते ही नहीं हैं. ऐसा करके कंस्ट्रक्शन वेलफेयर फंड से मजदूरों को मिलने वाली सहूलियतों के नाम पर करोड़ों रुपए डकारे जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक दबाव के जरिए अफसरों से भी फर्जी मजदूरों को रजिस्टर कराया जा रहा है.  

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कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर फंड से यह फायदा

दिल्ली में कहीं भी कोई बिल्डिंग बनती है या कंस्ट्रक्शन का काम होता है, तो ठेकेदार को एक निश्चित राशि कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर फंड में जमा करानी होती है. इस फंड में दिल्ली मे करीब दो हज़ार करोड़ की रकम जमा है. इस रकम में से रजिस्टर्ड मजदूरों की भलाई और मदद के लिए खर्च किया जाता है. मसलन मजदूर की बीमारी से लेकर एक्सीडेंट या बच्चों की पढाई लिखाई आदि के लिए रकम मजदूरों को दी जाती है. स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक मजदूरों के बच्चों के लिए पांच सौ रुपए महीना से लेकर पांच हज़ार रुपए महीने तक की स्कालरशिप का प्रावधान है. मजदूर की बेटी की शादी के लिए 51 हज़ार और बेटे की शादी के लिए 35 हज़ार रुपए दिए जाते हैं. साथ ही रजिस्टर्ड मजदूर को साठ साल की उम्र के बाद तीन हज़ार रुपए महीने की पेंशन भी दी जाती है.

इन्ही सहूलियतों को लेने के लिए राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों ने फर्जी यूनियन बनाकर अपने कार्यकर्ताओं को मजदूर के तौर पर रजिस्टर करा दिया है. उसके आधार पर सरकारी सहायता गलत तरीके से ले रहे हैं. लेबर डिपार्टमेंट के एक अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि विभाग ने इस मामले को लेकर तीन एफआईआर भी दर्ज करायी हैं और अफसरों को गड़बड़ी की पूरी जानकारी दी है. अफसर के मुताबिक ये गोरखधंधा इतनी जोरशोर से चल रहा है कि यूनियन के दफ्तर राजनीतिक लोगों के घरों तक में खुल गए हैं और फर्जी रजिस्ट्रेशन करा कर लाखों रुपए हड़पे जा रहे हैं.

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लेबर कमिश्नर संजय सक्सेना ने इस बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोल दिया. अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने मजदूरों का हक मारकर अपने कार्यकर्ताओं को मजदूर के तौर पर रजिस्टर कराया है और उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया है. तिवारी ने कहा कि इस फर्जीवाड़े में करोड़ रुपए का हेरफेर किया गया है. उन्होंने उपराज्यपाल से तुरंत सभी रिकार्ड जब्त करने और सीबीआई से इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है. दिल्ली सरकार की तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. 

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