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नोटबंदी की परेशानी से मजदूरों का पलायन बढ़ा

वहीं फैक्ट्री मालिक ने कहा कि नोटबंदी की वजह से बाजार में कैश की कमी हो गई है, आगे बाजार में उनके उत्पाद की मांग घटने से उनकी फैक्ट्री में उत्पादन पर असर पड़ा है. ऐसे में कंपनियां या तो घाटे में चल रही हैं या बंद हो चुकी हैं.

मजदूरों को हो रही नोटबंदी से परेशानी मजदूरों को हो रही नोटबंदी से परेशानी
लव रघुवंशी
  • नई दिल्‍ली,
  • 13 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

नोटबंदी के 30 दिन बीतने के बाद भी देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही खबरों से सरकार के दावों की हवा निकाल रही है. कहां तो सरकार का कहना था कि कुछ ही दिनों में हालात सामान्य हो पाएंगे लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट दास्तान बयां कर रही है.

नोटबंदी के बाद कैश की कमी की स्थिति ने ना सिर्फ मिडिल क्लास की कमर तोड़ दी है बल्कि मजदूरी पेशा वर्ग को बड़े शहरों से पलायन पर मजबूर कर दिया है. दिल्ली के औद्योगिक इलाकों से लगभग 5 लाख मजदूरों का पलायन हो चुका है. नोटंबदी के बाद इन औद्योगिक इलाकों में कई फैक्टरियों में या तो काम ठप पड़ चुका है या कई फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं.

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वक्त पर नहीं मिल रही तनख्वाह

दिल्ली के बादली औद्योगिक इलाके में देश के अलग-अलग इलाकों से आए मजदूर कैश की कमी के चलते अपने गांवों की ओर लौट चुके हैं वहीं बहुत से मजदूरों का कहना है कि उन्हें उनकी महीने की तनख्वाह भी वक्त पर नहीं मिल रही है. स्टील की फैक्ट्री में सामान ढोने वाले बिहार के मोतिहारी के रहने वाले घनश्याम का कहना है कि उनके साथ राम करने वाले कई साथी अपने गांव लौट गए, पैसों की कमी के चलते मालिकों ने या तो उन्हे पुराने नोट दिए या फिर उन्हें 3 महीने बाद आने को कहा.

वहीं फैक्ट्री मालिक ने कहा कि नोटबंदी की वजह से बाजार में कैश की कमी हो गई है, आगे बाजार में उनके उत्पाद की मांग घटने से उनकी फैक्ट्री में उत्पादन पर असर पड़ा है. ऐसे में कंपनियां या तो घाटे में चल रही हैं या बंद हो चुकी हैं.

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घट गई दिहाड़ी मजदूरी

बादली में ही ब्रेड बनाने वाली कंपनी की तीन यूनिट में से तो यूनिट बंद हो चुकी हैं, मजदूरों के पलायन के बाद दो यूनिट बंद करने की नौबत आ गई. नरेला औद्योगिक इलाके में काम करने वाले ब्रिजभूषण की मानें तो नोटबंदी से उनकी दिहाड़ी मजदूरी 30 प्रतिशत तक घट गई है, चाय की दुकान लगाने वाले भी मजदूरों के पलायन से अपनी रोजी रोटी खो रहे हैं.

गौरतलब है कि दिल्ली में लगभग 40 औद्योगिक इलाके हैं जिसमें सरकार द्वारा विकसित और गैर सरकारी भी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा जैसे राज्यों से आए लगभग 15 लाख मजदूर इन इलाकों में काम कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं.

दिल्ली के उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक नोटबंदी के बाद उभरे हालात से परेशान लगभग 15 लाख मजदूर वापस अपने घरों की ओर पलायन कर चुके हैं. मांग और उत्पादन की कमी साथ ही लोगों के कम खर्च से दिल्ली सरकार के राजस्व को भी चपत लग सकती है. जैन का कहना है कि आने वाले समय में नोटबंदी की वजह से देश में आर्थिक मंदी का दौर आ सकता है.

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