
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को समाजवादी पार्टी में हो रही फुट की वजह से बेहद चिंतित देखा गया. उन्होंने पिता मुलायम सिंह यादव और बेटे अखिलेश यादव के बीच सुलह करने में अहम भूमिका भी अदा की.
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव रिश्ते में मुलायम सिंह के समधी लगते हैं. इस नाते लालू का चिंतित होना स्वाभाविक माना जाता है. लालू यादव ने इस नाते मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों से अलग-अलग फोन पर बात भी की और पिता-पुत्र के बीच सुलह करने का सुझाव भी दिया.
लालू कहते हैं कि वे नहीं चाहते कि यूपी में सपा की फूट का फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिले. वे इससे पहले शिवपाल और अखिलेश के बीच उपजे विवाद में भी अपनी ओर से सुलह के प्रयास करवा चुके हैं.
लालू यादव ने मुलायम सिंह से कहा कि वे बाहरी लोगों के चक्कर में न पड़ें. बाहरी से उनका मतलब अमर सिंह से है. वहीं अखिलेश को स्वयं मुलायम सिंह यादव से मिलने के लिए प्रेरित भी किया.
सुलह का रास्ता भी यहीं से निकला...
ऐसा संयोग रहा कि जिस समय लालू प्रसाद से मुलायम सिंह यादव की फोन पर बातचीत हो रही थी उस समय आजम खां भी वहीं मौजूद थे. मुलायम सिंह ने उन्हें अखिलेश के पास भेजा और उन्हें साथ लाने को कहा.
आजम खां के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिता से मिलने उनके आवास पर गए. इसी बातचीत के बाद अखिलेश और रामगोपाल का निलबंन वापसी के आदेश जारी किए गए.
इस तरह मुलायम और अखिलेश के बीच रिश्तों में जमने वाली बर्फ को पिघलाने का काम लालू यादव ने किया. मालूम हो कि अखिलेश और रामगोपाल को एक दिन पहले समाजवादी पार्टी से 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया था और 24 घंटे के भीतर ही उनकी पार्टी में फिर वापसी हो गई.