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सजा सुनाने वाले जज की लालू को सलाह- जेल में रहकर करें आत्मचिंतन

न्यायाधीश ने कहा, ''आप लोग सामाजिक तौर पर बहुत व्यस्त रहते हैं तो आप लोगों को समय नहीं मिल पाता है. अब आप लोगों को जेल में अकेले रहने और आत्मचिन्तन का अच्छा समय मिलेगा. इस दौरान आप सभी को अपने पिछले कामकाज के बारे में आत्मचिन्तन करना चाहिए.''

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव
रणविजय सिंह
  • रांची ,
  • 24 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

चारा घोटाले के एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित 16 लोगों को शनिवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया. इस दौरान कोर्ट ने इन सभी लोगों से नसीहत के लहजे में कहा कि दोषियों को जेल में जाकर शांतिपूर्वक आत्मचिंतन करना चाहिए. विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने अपना फैसला सुनाने के बाद न्यायिक हिरासत के कागजात तैयार किए जाने के दौरान यह टिप्पणी की.

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जज ने कहा- पिछले कामकाज के बारे में आत्मचिन्तन करना

न्यायाधीश ने कहा, ''आप लोग सामाजिक तौर पर बहुत व्यस्त रहते हैं तो आप लोगों को समय नहीं मिल पाता है. अब आप लोगों को जेल में अकेले रहने और आत्मचिन्तन का अच्छा समय मिलेगा. इस दौरान आप सभी को अपने पिछले कामकाज के बारे में आत्मचिन्तन करना चाहिए.'' अदालत ने अनेक दोषियों की जेल में दवा की व्यवस्था करने, गरम कपड़ों की व्यवस्था करने और अन्य सुविधाओं के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया और उसके अनुसार जेल प्रशासन को निर्देश जारी किए.

इस मामले में लालू सहित दोषी ठहराए गए सभी 16 लोगों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. हालांकि अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत समेत छह लोगों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया.

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लालू के साथ कोर्ट में मौजूद थे तेजस्वी

कोर्ट में फैसले आने तक लालू यादव के साथ बेटे तेजस्वी भी मौजूद थे. बिना कोई प्रतिक्रिया दिए दोनों बाप बेटे चुपचाप कोर्ट रूम में दाखिल हुए. लालू चुपचाप बैठे भगवान को याद करने की मुद्दा में दिखाई दिए. अदालत ने 22 आरोपियों में से सबसे पहले उन 6 लोगों के नाम लिए जिन्हें बरी किया जाना था. उनमें कांग्रेस के नेता और बिहार के सीएम रहे जगन्नाथ मिश्र का भी नाम था. लालू को भी बरी होने की उम्मीद बंधी लेकिन जल्द ही उनके चेहरे का रंग बदल गया. ये साफ हो गया कि वो उस फेहरिस्त में हैं जिनमें 16 गुनहगारों के नाम हैं.

ट्विटर पर लालू का बीजेपी पर प्रहार

लालू ने फैसले पर मीडिया से बात नहीं की. लेकिन ट्विटर पर प्रतिक्रिया जरूर दी. लिखा 'झूठे जुमले बुनने वालों सच अपनी ज़िद पर खड़ा है. धर्मयुद्ध में लालू अकेला नहीं पूरा बिहार साथ खड़ा है'. बहरहाल, फैसले के बाद कोर्ट से लालू को सीधा रांची के बिरसा मुंडा जेल ले जाया गया. लेकिन पार्टी ने फैसला किया है कि वो सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी.

कितनी हो सकती है सजा

लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में यदि लालू और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की कैद की सजा होगी. हालांकि, सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है.

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क्या है चारा घोटाला?

1994 में पहली बार चारा घोटाले का खुलासा हुआ. कई कोषागारों से पैसे की अवैध निकासी हुई. 1996 में पशुपालन विभाग के कई दफ्तरों पर छापेमारी हुई और जनवरी 1996 में चारा घोटाले में पहला केस दर्ज हुआ. एक दो करोड़ से शुरू हुआ घोटाला 900 करोड़ पहुंचा. मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच के आदेश दिए. 10 बड़े नेता और 8 बड़े अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ.

1996 में ही चाईबासा ट्रेजरी मामले में लालू पर मामला दर्ज हुआ. चारा घोटाले में लालू यादव पर देवघर ट्रेजरी समेत कुल 6 मामले दर्ज हैं. जुलाई 1997 में लालू यादव ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और कोर्ट ने लालू को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. साल 2000 में लालू पर आरोप तय हुए. साल 2002 में रांची की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई और अक्टूबर 2013 में लालू यादव को दोषी करार दिया गया और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई. अबतक जेल में लालू यादव 375 दिन की सजा काट चुके हैं.

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