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एक ही प्लेन से रांची पहुंचे थे लालू-जगन्नाथ, तेजस्वी साये की तरह थे साथ

लालू यादव जैसे ही बिहार की राजनीति में पांव जमाने की कोशिश करते हैं चारा घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर निकल आता है और लालू यादव सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं.

चारा घोटाले में लालू दोषी करार चारा घोटाले में लालू दोषी करार
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:32 PM IST

लालू यादव जैसे ही बिहार की राजनीति में पांव जमाने की कोशिश करते हैं चारा घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर निकल आता है और लालू यादव सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं. सीबीआई की विशेष अदालत ने देवघर ट्रेजरी से 90 लाख निकालने के मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया और लालू यादव एक बार फिर जेल की चारदीवारी के पीछे पहुंच गए.

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लालू यादव की उम्मीदें धराशायी हो गईं. अदालत से बेदाग साबित होने की हसरतों पर पानी फिर गया, जिस न्यायपालिका की वो बार-बार दुहाई दे रहे थे उसी न्यायपालिका ने लालू की किस्मत में सजा-ए-जेल लिख दी.

ये महज एक केस की कहानी है. चारा घोटाले के सिर्फ एक मामले का फैसला आया है. देवघर कोषागार से 90 लाख की रकम निकालने में लालू का फर्जीवाड़ा साबित हो गया है. लालू यादव की फाइल पर अदालत ने दोषी का ठप्पा जड़ दिया. सीबीआई कोर्ट ने 90 लाख की निकासी के मामले में लालू को दोषी करार दिया. सजा की मियाद 3 जनवरी को तय होगी क्योंकि इससे पहले अदालत बंद रहेगी. इसी केस में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और ध्रुव भगत बरी कर दिए गए हैं.

बारह घंटे पहले लालू और जगन्नाथ मिश्र एक ही प्लेन से पटना से रांची रवाना हुए थे. एक ही कतार में दोनों की सीटें थीं. लालू के बगल में उनके राजनीतिक वारिस तेजस्वी बैठे थे. लेकिन कोर्ट का फैसला आया तो लालू की पार्टी ने पहला सवाल जगन्नाथ मिश्रा को क्लीन चिट देने पर ही उठाया.

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सीबीआई कोर्ट से लालू सीधे रांची की जेल भेज दिए गए. कोर्ट और जेल के बीच अब कोई पड़ाव नहीं बची है. बिहार की राजनीति को दो दशकों तक अपनी उंगलियों पर नचाने वाले सियासी सरदार का नया पता होगा रांची जेल और इसकी ये चारदीवारी.

कोर्ट से बाहर निकलते लालू यादव की ये तस्वीरें उनके राजनीतिक भविष्य के भंवर में फंस जाने का सबसे ताजा सबूत है. मुश्किल हालात से बाहर निकलने का हौसला दिखाते रहे लालू यादव के चेहरे से उनका ट्रेड मार्क आत्मविश्वास गायब था. वो हताश और निराश दिख रहे थे. लेकिन सियासत का तकाजा था इसलिए आरजेडी की पूरी पलटन फैसले को तरह-तरह की रंग देने में लगी थी.

लालू और उनके शुभचिंतक टकटकी लगाकर अब तीन जनवरी की ताऱीख का इंतजार करेंगे. लालू को कितनी सजा मिलती है. इसी से आरजेडी का अगला रास्ता भी तय होगा. लेकिन फिलहाल तो लालू पर बड़ी चोट पड़ चुकी है. फैसले को चुनौती देने के रास्ते तो खुले हैं लेकिन लालू मार्का राजनीति की राह डगमगाती दिख रही है.

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