
गाजीपुर में लैंडफिल साइट पर हुए गार्बेज स्लाइडिंग की वजह से पहाड़ जैसे लैंडफिल साइट का एक हिस्सा भरभरा कर नीचे ढह जाता है. जिसमें दबकर दो लोगो की मौत भी हो जाती है. इस घटना ने पूरी दिल्ली में बवाल मचा दिया. राजनीतिक पार्टियों को एक-दूसरे को कोसने का मौका मिल गया. MCD, DDA और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. लेकिन सही मायनों में तो इन लैंडफिल साइट के अलावा दिल्ली के पास कचरा प्रबंधन का कोई विकल्प ही नहीं है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट से म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की प्रोग्राम हेड स्वाति सिंह की मानें तो इस तरह के साइट को लैंडफिल साइट ही नहीं कहा जा सकता. क्योंकि लैंडफिल साइट वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डिजाइन होती हैं.
स्वाति के मुताबिक दिल्ली के तीनों ओखला, गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट्स को डंपिंग साइट्स कह सकते हैं क्योंकि यहां पूरी दिल्ली का हर तरह का कूड़ा सिर्फ डंप किया जाता है. इसमें कूड़ा डालने से पहले कोई सेपरेशन की प्रक्रिया नहीं बरती जाती और ऊपर से इनकी ऊंचाइयां मानक से कई गुना बढ़ चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद इनमें कूड़ा डलता जा रहा है.
इन डंपिंग साइट्स की ऊंचाई 20 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए लेकिन इनकी ऊंचाइयां 40 से 50 मीटर तक हो चुकी हैं फिर भी लापरवाही पूर्वक इसमें कूड़ा डलता ही जा रहा है.
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि ये सभी डंपिंग साइट्स डीपीसीसी से एप्रूव्ड भी नहीं हैं. अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन डंपिंग साइट्स पर किस तरह बिना किसी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के सिर्फ कूड़ा भरता जा रहा है और इस तरह की घटना अलार्मिंग हैं कारपोरेशन के लिए ताकि वो जल्द से जल्द वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कोई लांग टर्म प्लानिंग करे ताकि दिल्ली में जरूरत से ज्यादा भरे हुए ये डंपिंग साइट्स किसी और घटना का कारण ना बने.