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बुराड़ी कांड में सनसनीखेज खुलासा, इन बातों को पढ़कर रह जाएंगे दंग

दिल्ली के बुराड़ी में हुए 11 मौतों के मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. घर से बरामद रजिस्टरों और नोटबुक से पुलिस को कई अहम बातें पता चली हैं. रजिस्टर के एक पेज पर जो कुछ लिखा है उससे साफ पता चलता है कि मौत से पहले पूरी तैयारी की गई थी.

रजिस्टर पढ़कर उड़ गए पुलिस के होश रजिस्टर पढ़कर उड़ गए पुलिस के होश
मुकेश कुमार/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

दिल्ली के बुराड़ी में हुए 11 मौतों के मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. घर से बरामद रजिस्टरों और नोटबुक से पुलिस को कई अहम बातें पता चली हैं. रजिस्टर के एक पेज पर जो कुछ लिखा है उससे साफ पता चलता है कि मौत से पहले पूरी तैयारी की गई थी. करीब एक सप्ताह पहले ही पूरी प्रक्रिया के बारे में परिजनों को बताया गया था.

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रजिस्टर के एक पेज पर लिखा है...

सात दिन तक बड़ पूजा करनी है. थोड़ी श्रद्धा और लगन से. कोई घर में आ जाए, तो अगले दिन. बेबे भी खड़ी नहीं हो सकती तो अगले कमरे में लेट सकती है. पट्टियां अच्छे से बांधनी है. शून्य के अलावा कुछ नहीं. पहले हाथ प्रार्थना की मुद्रा फिर अनिशासन भाव की और शरीर को तार से लपेटना है. रस्सी के साथ सूती चुन्नी या साड़ी का प्रयोग ही करना है.

सबकी सोच एक जैसी हो. पहले से ज़्यादा दृढ़ता हो. स्नान करने की जरूरत नहीं है. मुंह हाथ धो कर भी ये करते ही तुम्हारे आगे के काम दृढ़ता होने शुरू होंगे. ढीलापन और अविश्वास नुकसानदायक होता है. श्रम, तालमेल और आपसी सहयोग जरूरी होता है. मंगल, शनि, वीर और इतवार फिर आऊंगा. विश्वास और दृढ़ता से करो. माध्यम रोशनी का प्रयोग करना है.

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हाथ की पट्टी बचेगी उसे आंखों पर डबल कर लेना है. मुंह की पट्टी को भी रुमाल से डबल कर लेना है. जितनी दृढ़ता और श्रद्धा दिखाएंगे उतना उचित फल मिलेगा. जिस दिन ये प्रयोग करो तो फोन का प्रयोग कम से कम करना. मंगल और वीरवार आएंगे.

उज्जैन में की गई थीं तांत्रिक क्रियाएं

एक चश्मदीद के मुताबिक पूरे परिवार ने उज्जैन के भृतहरि गुफा और गढ़कालिका क्षेत्र में तांत्रिक क्रियाएं की थी. जब तांत्रिक ने लाखों रुपये की डिमांड की तो भाटिया परिवार इतने पैसे नहीं दे पाया. इसके बाद तांत्रिक ने उनके परिवार के पतन का श्राप दे दिया था. तांत्रिक से विवाद होने के बाद भटिया परिवार दिल्ली लौट आया और घर में ही पूजा-पाठ शुरू कर दिया था.

एक नहीं पांच आत्माओं को मुक्ति

पुलिस को बरामद रजिस्टर के एक पेज पर 9 जुलाई 2015 को लिखा गया था, 'अपने सुधार में गति बढ़ा दो. यह भी तुम्हारा धन्यवाद करता हूं कि तुम भटक जाते हो पर फिर एक दूसरे की बात मानकर एक छत के नीचे मेल मिलाप कर लेते हो. 5 आत्माएं अभी मेरे साथ भटक रही हैं. यदि तुम अपने में सुधार करोगे तो उन्हें भी गति मिलेगी. इससे सबका फायदा होगा'

ललित की बात नोट करती थी प्रियंका

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क्राइम ब्रांच को 5 जून 2013 से 30 जून 2018 तक की डायरी मिली है. पुलिस को कुल 11 डायरियां मिली हैं. इनमें लिखी बातों से पुलिस इस नतीजे पर पहुंचती नजर आ रही है कि ये मामला कत्ल का नहीं है. डायरियों में तीन-चार तरह की लिखावट मिली है. कुछ लिखावट प्रियंका की है. ऐसा माना जा रहा है कि ललित बातों को प्रियंका नोट किया करती थी.

पिता की मौत के बाद हुआ था हमला

यह पूरा मामला बेहद नाटकीय तरीके से शुरू हुआ था. पिता की मौत के बाद दुकान पर ललित का झगड़ा हुआ था. हमलावरों ने उसे दुकान के अंदर बंद करके बाहर से आग लगा दी थी. ललित की जान तो बच गई लेकिन दहशत में उसकी आवाज चली गई थी. इस घटना से ललित व परिवार पूरी तरह टूट गया. कई साल तक ललित की आवाज नहीं लौटी थी.

ललित के सपने में आने लगे पिता

एक रजिस्टर के मुताबिक ललित घर वालों को बताता था कि वो पिता की आत्मा से बात करता है. सूत्रों का कहना है कि ललित के सपने में एक दिन पिता आए और कहा कि वो चिंता न करे, जल्दी ही उसकी आवाज लौट आएगी. इस सपने को सुबह उठते ही उसने परिवार के साथ लिखकर साझा किया. फिर आए दिन सपने में ललित को अपने पिता दिखाई देने लगे.

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मांगलिक बहन की तय हो गई शादी

कुछ दिनों बाद ललित की जब आवाज में सुधार हुआ तो उसकी अटूट आस्था शुरू हो गई. इसके बाद तो ललित अक्सर पिता की आत्मा से मिलने करने की करने लगा. वो जो कुछ कहता परिवार के लोग पिता का आदेश मानकर पूरा करते. इत्तफाक देखिये. ललित की बहन की मांगलिक प्रियंका की शादी में अड़चनें आ रही थी. पूजा-पाठ के बाद उसकी शादी तय हो गई.

ललित पर विश्वास करने लगा परिवार

यही नहीं, पहले भाटिया परिवार के पास तीन दुकानें हो गई. बताया जाता है कि पूरा परिवार इसका श्रेय पिता के बताए रास्ते को देता था और ललित इसका माध्यम था. इसलिए परिवार के लोग ललित को पिता की तरह सम्मान देते थे. उस रोज जो प्रक्रिया अपनाई जा रही थी, उसके पीछे मकसद परिवार को मिली खुशियों के लिए ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापन करना था.

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