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उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण टला, HC ने अगली सुनवाई तक लगाई रोक

उत्तराखंड में अब हरीश रावत सरकार का विधानसभा में 31 मार्च को शक्ति परीक्षण नहीं हो सकेगा. नैनीताल हाई कोर्ट में दो सदस्यीय जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है. दोनों प्रमुख पार्टी इसके लिए राजी हो गई है.

ब्रजेश मिश्र
  • नैनीताल,
  • 30 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST

उत्तराखंड में अब हरीश रावत सरकार का विधानसभा में 31 मार्च को शक्ति परीक्षण नहीं हो सकेगा. नैनीताल हाई कोर्ट में दो सदस्यीय जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है. दोनों प्रमुख पार्टी इसके लिए राजी हो गई है. कोर्ट ने कहा कि 6 अप्रैल को होनेवाली अगली सुनवाई तक शक्ति परीक्षण नहीं होगी.

इससे पहले उत्तराखंड में चल रही सियासी उठा-पटक के बीच बुधवार को नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर दायर याचिका की सुनवाई शुरू की. कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सवाल किया कि जब विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए एक दिन का समय बचा था तो सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई.

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कोर्ट ने कहा, 'किसी भी पार्टी को अपना बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट का मौका देना जरूरी है और यह सबसे स्वस्थ प्रक्रिया है.'

खरीद-फरोख्त के आरोप के बाद लगा राष्ट्रपति शासन
जवाब में एजी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट किसी सरकार का हो सकता है, लेकिन उत्तराखंड विधानसभा में न तो कोई कैबिनेट है न ही मंत्री. विधानसभा निलंबित हो चुकी है, ऐसे में फ्लोर टेस्ट कैसे होगा? उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा था, जिसके बाद विधानसभा को निलंबित करना और राष्ट्रपति शासन लगाने का ही विकल्प था.

हाईकोर्ट ने कहा- ये हमारी ड्यूटी
हाई कोर्ट ने कहा, 'हमारी ड्यूटी ये है कि किसी भी स्थिति में धारा 356 का राजनीतिक इस्तेमाल न हो.' कोर्ट में फिलहाल बहस जारी है.

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बागी विधायकों के निलंबन पर स्टे से इनकार
उधर, जस्टिस यूसी ध्यानी की सिंगल बेंच ने बागी विधायकों की ओर से सस्पेंड किए जाने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर स्टे से इनकार किया है. विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 9 बागी विधायकों को बर्खास्त किए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए विधायकों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तारीख तय की है.

सिंगल बेंच ने दिया था ये आदेश
बता दें कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कांग्रेस को 31 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा था, जिसने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी. बीजेपी ने इसके खिलाफ डबल बेंच में अपील की है.

जस्टिस यू.सी. ध्यानी की सिंगल बेंच के फैसले पर कांग्रेस ने खुशी जताई थी. हाई कोर्ट ने फैसले के बाद दोनों पार्टियों की अपील पर सुनवाई के लिए बुधवार का दिन तय किया था. मामले की सुनवाई अब चीफ जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच कर रही है. अपनी अपील में बीजेपी ने कहा है कि राष्ट्रपति शासन पर कोर्ट स्टे नहीं लगा सकता है.

9 बागी विधायकों के खिलाफ कांग्रेस ने की अपील
वहीं, कांग्रेस ने मंगलवार को आए हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया तो दूसरी ओर बागी विधायकों को वोटिंग का अधिकार देने पर आपत्ति भी दर्ज कराई. कांग्रेस ने इसके खिलाफ डबल बेंच में अपील की है. कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने सस्पेंड कर दिया था.

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बता दें कि 28 मार्च को कांग्रेस को विधानसभा में बहुमत साबित करना था लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यपाल केके पॉल की रिपोर्ट पर एक दिन पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन की संस्तुति कर दी थी.

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