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पाकिस्तान को धूल चटाने वाले हॉकी कप्तान पी आर श्रीजेश से सीखें सफलता के गुर...

भारतीय हॉकी टीम ने एशिया चैंपियन ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हरा कर खिताब जीत लिया है. इस जीत में हीरो बन कर उभरे हैं टीम के कप्तान पीआर श्रीजेश. ऐसे में आप भी सीखें उनसे सफलता के गुर...

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विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST

भारतीय हॉकी टीम लंबे समय से जीत के करीब आकर भी जीत नहीं पा रही थी. जीत जैसे उसकी हथेलियों में आकर फिसल-फिसल जाती. वे लगातार अच्छा खेल रहे थे. इसके बावजूद उन्हें जीत नहीं मिल पा रही थी. मगर इस बार न सिर्फ वे एशिया चैंपियन ट्रॉफी के विजेता रहे हैं बल्कि यह कप उन्होंने पाकिस्तान को फाइनल में हरा कर जीता है. भारतीय हॉकी टीम के कप्तान पी आर श्रीजेश ने यह जीत उरी आतंकी हमले में शहीद जवानों को समर्पित की है.
गौरतलब है कि श्रीजेश भारतीय हॉकी टीम के कप्तान होने के साथ-साथ गोलकीपर भी हैं. ऐसा कम ही देखा जाता है कि कोई गोलकीपर भी टीम का कप्तान भी हो. फॉरवर्ड और मिडफील्डर कप्तानी करते अधिक देखे जाते हैं. ऐसे में एक आम इंसान और छात्र हॉकी के कप्तान से क्या-क्या सीख सकता है.

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1. टीम के साथ सामंजस्य बिठाना...
ऐसा हो सकता है कि आपकी पसंद और भाषा पूरी टीम के इतर हो. इसके बावजूद आप टीम के सदस्यों से सामंजस्य बिठाने की कोशिश करें. श्रीजेश खुद भी केरल राज्य से ताल्लुक रखते हैं. जाहिर है कि टीम में अधिकांश खिलाड़ी पंजाब, हरियाणा और हिन्दी भाषी प्रदेशों में हैं. ऐसे में सभी को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती होगी.

2. कोई काम छोटा नहीं होता...
हॉकी जैसे फील्ड गेम में गोलकीपर की भूमिका चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हो मगर उन्हें हमेशा ही दोयम दर्जे का माना जाता है. इसके बावजूद वे हार नहीं माने. आज भारत की इस महत्वपूर्ण जीत में उनके योगदान को कहीं से भी कमतर नहीं आंका जा सकता.

3. देश को हमेशा आगे रखना...
श्रीजेश का ऐसा मानना है कि आज वे जो कुछ भी हैं उसके पीछे देश की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. शायद यही वजह रही कि यह जीत भी उन्होंने उरी आतंकी हमले में शहीद सैनिकों को समर्पित की है.

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4. अपने काम से काम रखना...
हॉकी टीम के कप्तान श्रीजेश इस बात को बखूबी जानते हैं कि किसी एक चीज पर एकाग्रचित्त होने के बाद ही सफलता मिलती है. वे खेल से पहले सोशलमीडिया जैसे आभाषी माध्यमों से भी दूरी बनाए रखते हैं. आखिर ऐसी सफलता यूं ही थोड़े न मिल जाती है.

5. न जीत में अधिक खुश और न हार से निराश...
श्रीजेश इस बात से बखूबी अवगत हैं कि कई बार आप अच्छा खेलने के बावजूद जीत नहीं पाते. लगातार अच्छा खेलना और खुद को संयत रखना ही समय की मांग है. वे अपनी टीम को भी ऐसा करने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहते हैं.

 

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