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रतन टाटा से सीखें जिंदगी में सफलता के गुर...

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा एक बार फिर से वापसी कर चुके हैं. टाटा कंपनी की गिरती साख को वे फिर से स्थापित करने के लिए वापसी कर चुके हैं. जानें आखिर कौन सी चीजें उन्हें विशेष बनाती हैं, और आप उनसे क्या सीख सकते हैं...

Ratan Tata Ratan Tata
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 10:35 AM IST

कहते हैं कि हमारे देश में सिर्फ दो ही ऐसी कंपनियां हैं जो पैदाइश से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ रहती हैं. एक है बाटा और दूसरा है टाटा. टाटा नमक, चाय से लेकर जहाज तक बनाती है. इन दिनों टाटा का नाम उत्तराधिकारी विवाद की वजह से फिर से सुर्खियों में है. इस ग्रुप के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को एकदम से चलता कर दिया. रतन टाटा फिर से इस कंपनी को संभालने के लिए आगे आ गए हैं.

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80 की उम्र में जब अधिकांश लोग सन्यास लेकर बिस्तर पकड़ लेते हैं. वे फिर से सबकुछ सही करने के लिए केन्द्रीय भूमिका में आ चुके हैं. जाहिर है कि सब-कुछ आम जनता की नजरों में नहीं आता, मगर टाटा भी कोई पागल इंसान तो हैं नहीं. लोग उनके इस फैसले पर ऐतराज जता रहे हैं, मगर इस बात से शायद ही कोई असहमत है कि वे अकूत प्रतिभा और दूरदृष्टि वाले इंसान हैं. ऐसे में आप भी सीखें कि आखिर कौन-कौन सी बातें रतन टाटा को सामान्य से विशेष बनाती हैं और आप उनसे क्या-क्या सीख सकते हैं.

1. वे सिर्फ काम को तरजीह देते हैं...

ऐसा भारत के कई औद्योगिक घरानों के साथ होता है कि वे उद्योग के साथ-साथ राजनीति में भी दिलचस्पी लेने लगते हैं. वहीं टाटा ग्रुप और खास तौर से रतन टाटा इन चीजों से हमेशा बचते रहे हैं. वे हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर संजीदा रहते हैं. उनका मानना है कि इससे दोनों ही विधाओं का घाटा होता है.

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2. वे काम को पूजा की तरह लेते हैं...

ऐसा भी नहीं है कि वे हमेशा से ही इस पोजिशन में रहे हों. पढ़ाई के बाद उन्हें आईबीएम ने नौकरी भी ऑफर की थी. हालांकि वे फैमिली बिजनेस की ओर मुड़ गए. वहां भी वे नौकरी करते रहे और काम समझते रहे.

3. दूसरों को पूरा सम्मान देना...

रतन टाटा को निजी तौर पर जानने वालों का कहना है कि वे हमेशा ही शांत और सौम्य बने रहते हैं. वे अपनी कंपनी के छोटे से छोटे कर्मचारी तक से बड़े प्यार से मिलते हैं.

4. अपने वादे से नहीं मुकरते...

अगर आपको याद हो तो उन्होंने भारत की जनता को लखटकिया कार देने के वादा किया था. इसके बाद चाहे जितनी ही दिक्कतें आईं लेकिन वे अपने वादे से नहीं डिगे. परिणाम हम सभी के सामने है.

5. एक ही साथ कई धंधों में हाथ डालना...

ऐसी छोटी-छोटी मगर स्पेशल क्वालिटीज ही किसी आम इंसान को किंवदंती बनाती हैं. वे टाटा ग्रुप का चेयरमैन होने के साथ-साथ मित्सुबिसी कॉर्पोरेशन, बूज ऐलेन हैमिल्टन और जे पी मॉर्गन जैसी बड़ी कंपनियों के बोर्ड में सदस्य भी हैं.

जाहिर है कि सभी उनके अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं. तो आप भी उनकी क्वालिटीज को अपनी जिंदगी में शामिल करें और बस छा जाएं.

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