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सोशल मीडिया पर वायरल हुई नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला की 'ट्रेन जर्नी'

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कभी उनके साथी रहे शंकर सिंह वाघेला की एक स्‍टोरी इन दिनों सुर्खियों में है. यह स्‍टोरी अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में छपी है जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.

नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 02 जून 2014,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कभी उनके साथी रहे शंकर सिंह वाघेला की एक स्‍टोरी इन दिनों सुर्खियों में है. यह स्‍टोरी अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में छपी है जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. इस स्‍टोरी में मोदी और वाघेला की करीब 24 साल पहले की एक 'ट्रेन जर्नी' का जिक्र है जिसमें इन दो नेताओं ने अपने विनम्र स्‍वभाव से दो अजनबी महिलाओं पर गहरी छाप छोड़ दी थी.

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इंडियन रेलवे (ट्रैफिक) सर्विस में सीनियर अफसर लीना शर्मा ने 90 के दशक में अपनी अहमदाबाद यात्रा का जिक्र किया है जिसमें उनकी मुलाकात मोदी और वाघेला से हुई थी. हालांकि, सफर के दौरान हुए परिचय में मोदी और वाघेला ने अपना नाम बताया तो जरूर था लेकिन लीना को इनके नाम याद नहीं रहे. हां, यह सफर इतना यादगार रहा कि इन दो नेताओं को नहीं भूल सकी हैं.

बात उस वक्‍त की है जब असम की रहने वाली लीना शर्मा अपनी एक बैचमेट के साथ दिल्‍ली से अहमदाबाद जा रही थीं. लीना उस वक्‍त रेलवे सर्विस में प्रोबेशनर थीं. लीना और उनकी बैचमेट का टिकट कन्‍फर्म नहीं हो सका था. वो फर्स्‍ट क्‍लास बोगी के टीटीई से मिलीं जिसपर उसने मदद करने का भरोसा दिया. कुछ देर में टीटीई इन्हें एक कूपे की तरफ ले गया जहां सफेद खादी कुर्ता-पायजामा पहने दो नेता बैठे थे.

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इन दो सहयात्रियों ने लीना और उनकी दोस्‍त को बैठने की जगह दी. बातचीत का सिलसिला चला तो राजनीति पर चर्चा हुई. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र हुआ. यहां तक कि इन दो नेताओं ने अपने साथ सफर कर रही इन दो महिलाओं को यह कहते हुए गुजरात बीजेपी ज्‍वाइन करने का न्‍योता भी दिया कि वो टैलेंट की कद्र करते हैं. डिनर के समय चार वेज थाली आई. सबने भोजन किया और सभी का बिल मोदी ने चुकता किया.

जब सोने की बारी आई तो ये दोनों नेता अपनी सीट से उठ गए और दोनों महिला अफसरों को अपनी सीट दे दी और खुद फर्श पर चादर बिछाकर लेट गए. ट्रेन जब सुबह अहमदाबाद पहुंची तो इन दो नेताओं ने महिला अफसरों को दिक्‍कत होने की स्थिति में अपने यहां ठहरने की पेशकश भी की थी.

यह कहानी लिखते हुए लीना शर्मा ने एक रात पहले की घटना का जिक्र किया है, जब वो लखनऊ से दिल्‍ली आ रही थीं. उस ट्रेन में भी उनके डिब्‍बे में कई नेता थे लेकिन उनका आचरण बिल्‍कुल भद्दा था.

लेखिका ने इस घटना का जिक्र 1995 में पहली बार असम के एक अखबार के लिए लिखे अपने लेख किया था. उस वक्‍त लीना ने गुजरात से ताल्‍लुक रखने वाले दो अज्ञात राजनेताओं के नाम यह लेख लिया था. उस वक्‍त लेखिका को इस बात का जरा भी इल्‍म नहीं था कि वो जिन दो राजनेताओं का जिक्र अपने लेख में कर रही हैं, वो आने वाले दिनों में मशहूर हो जाएंगे.

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1996 में जब वाघेला गुजरात के सीएम बने तो लीना शर्मा को बेहद खुशी हुई वहीं, जब मोदी 2001 में सीएम बने तो लेखिका की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आज मोदी पीएम हैं. लीना शर्मा जब भी मोदी को टीवी पर देखती हैं, उन्‍हें 24 साल पहले की वो 'ट्रेन जर्नी' बरबस याद आ जाती है.

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