
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को ठोक-बजाकर ठीक करने में जुटे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने वामपंथियों को भावी सहयोगियों की सूची से बाहर कर दिया है. उन्होंने भावी सहयोगियों की सूची में पुराने सहयोगी पार्टियों और कांग्रेस से टूट कर बने दलों को जगह दी है.
कांग्रेस के एक बड़े नेता ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि फरवरी में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी इस बावत औपचारिक ऐलान करेंगे. लेफ्ट को भावी सहयोगियों की सूची से बाहर रखने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि वामपंथ लगातार कमजोर होते हुए सियासी लिहाज से कांग्रेस के लिए अप्रासंगिक हो गया है.
पश्चिम बंगाल के पिछले चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट साथ मिल कर लड़े लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. इसके उलट भाजपा को यह कहने का मौका मिला कि वामपंथी और कांग्रेस बंगाल में साथ हैं और केरल में खिलाफ लड़ रहे हैं. इस असहज स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि कांग्रेस अपने दम पर लड़े. इसके अलावा वामपंथियों का कोर फोकस भी दलित, पिछड़े और मुस्लिम रहे हैं.
लेकिन वामपंथ के कमजोर होने की वजह से इस निर्णायक वोट बैंक में हर राज्य में दूसरे क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों ने अपनी घुसपैठ बना ली. यदि अब कांग्रेस स्वयं से मजबूती क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ कर लड़ती दिखेगी तो कांग्रेस का खोया हुआ यह वोट बैंक दोबारा पार्टी की तरफ आने का सिलसिला शुरू होगा.
कांग्रेस ने अपने इसी रुख के मुताबिक जिग्नेश मेवाणी को इस बात के लिए राजी किया कि वह सीपीएम के निमंत्रण पर केरल नहीं जाएंगे. राहुल गांधी के खास माने जाने वाले अलंकार सवई ने जिग्नेश को कांग्रेस के इस आग्रह से अवगत कराते हुए उन्हे केरल नहीं जाने के लिए राजी किया.