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DDCA जांच आयोग पर केंद्र को LG की चिट्ठी, गैरकानूनी है दिल्ली सरकार द्वारा आयोग का गठन

दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने डीडीसीए में कथित घोटाले की जांच के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित आयोग को संवैधानिक तौर पर गलत करार दिया है. उन्होंने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट, 1952 का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को ही जांच आयोग गठित करने की इजाजत देता है.

दिल्ली के LG नजीब जंग और CM केजरीवाल दिल्ली के LG नजीब जंग और CM केजरीवाल
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने एक बार फिर दिल्ली सरकार से जंग का ऐलान कर दिया है. DDCA को लेकर चल रहे विवाद के बीच जंग ने घोटाले की जांच के लिए एक सदस्यीय गोपाल सुब्रमण्यम जांच आयोग पर सवाल उठाए हैं. LG के मुताबिक जांच आयोग का गठन गैरकानूनी है क्योंकि इसके लिए उपराज्यपाल और केंद्र की सहमति नहीं ली गई.

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केंद्र और LG की नहीं ली स्वीकृति
सूत्रों के मुताबिक LG ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट, 1952 का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है और इसलिए दिल्ली सरकार बिना केंद्र और उपराज्यपाल की स्वीकृति के जांच का आदेश नहीं दे सकती. सूत्रों के मुताबिक नजीब जंग ने बुधवार को गृह मंत्रालय से कहा कि केजरीवाल की ओर से गठित किया गया यह जांच आयोग अवैध है.

CNG फिटनेस स्कैम की जांच हुई थी खारिज
उपराज्यपाल के मुताबिक दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और उसे पूरी तरह राज्य का दर्जा नहीं मिला है. इसके अलावा कोई भी आयोग राज्यपाल के मार्फत केंद्र सरकार की सहमति प्राप्त करने के बाद ही गठित किया जा सकता है. इसी तर्क के आधार पर सीएनजी फिटनेस किट स्कैम की जांच के लिए केजरीवाल सरकार की ओर से गठित आयोग को भी उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया था.

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इन्क्वायरी एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार शुक्रवार को नजीब जंग की ओर से आयोग को रद्द करने की सिफारिश पर विचार कर सकती है. केंद्र सरकार इस गुरुवार को ही विचार कर सकती थी, लेकिन मिलाद-उल-नबी के चलते आधिकारिक अवकाश की वजह से फैसला नहीं लिया जा सका. केंद्र सरकार के सूत्रों ने भी दावा किया है कि जिस तरह से केजरीवाल सरकार ने गोपाल सुब्रमण्यम आयोग का गठन किया है, वह पूरी तरह अस्पष्ट है. केजरीवाल ने इसके लिए इन्क्वायरी एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया है.

2011 में राजस्थान का मामला
एक्ट के मुताबिक कोई भी आयोग 'जनहित के लिए महत्वपूर्ण और निश्चित मामले' की जांच के लिए गठित किया जा सकता है. केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ओर से गठित किया गया यह आयोग इन शर्तों को पूरा नहीं करता है. एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुए कहा कि इसी तरह से राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा वसुंधरा राजे की जांच के लिए गठित आयोग को 2011 में न्यायपालिका से मंजूरी नहीं मिल सकी थी.

जेटली पर है 'आप' का आरोप
गहलोत सरकार की ओर से गठित आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसे गहलोत सरकार की ओर से फाइल नोटिंग के आधार पर गठित किया गया है. इसका आधार जनता की ओर से बड़े पैमाने पर दर्ज कराई गई शिकायतें नहीं हैं, जो किसी आयोग के गठन के लिए इन्क्वायरी एक्ट के तहत महत्वपूर्ण शर्त है.

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गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए में कथित घोटाले का आरोप लगाया है. जेटली 2002 से 2013 तक डीडीसीए के चेयरमैन थे.

 

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