
फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत के पदक का इंतजार खत्म कर दिया. 23 साल की साक्षी ने किर्गिजस्तान की पहलवान को 58 किलोग्राम वर्ग में हराकर जीत दर्ज की है. लेकिन इस जीत को हासिल करने में उनके 12 सालों की मेहनत है.
खुद साक्षी के शब्दों में जीत के बारे में पूछने पर उन्होंने जवाब दिया. 'मेरी 12 साल की तपस्या सफल हो गई है.'
खुद पर भरोसा:
साक्षी ने आखिर के 6 मिनट में जीत की नई कहानी लिख दी. जिस गेम को देखकर यह कह पाना मुश्किल था कि वो उसे जीत सकेंगी, उसे आखिरी पलों में बदलकर रख दिया. साक्षी से पूछे जाने पर वो कहती हैं
'मुझे भरोसा था मैं जीत जाऊंगी, आखिर के 6 मिनट में मैंने अपनी जान लगा दी.'
मुश्किल भरे रास्ते पर चलकर पाई मंजिल:
कुश्ती, जिसे आमतौर पर लड़कों का खेल कहा जाता है. ऐसे में इस खेल को चुनना और 12 साल पूरी लगन से सीखना आसान नहीं होता है. क्योंकि आपको एक लड़ाई खुद से लड़नी होती है तो दूसरी समाज से. साक्षी ने भी यह सब बखूबी देखा है और वो बताती हैं कि यह देखना हैरान कर देने वाला था कि लोग कैसे बदलते हैं. शुरुआत में जो लोग साथ नहीं थे आज वो मेरा सपोर्ट कर रहे हैं.
देश के लिए कर गुजरना बेहद खास:
साक्षी से सफलता को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा खुशी तक हुई जब मेरे सामने मेडल मिलने के बाद तिरंगा लहरा रहा था. इस पल को देखकर मेरा दिल खुशी से झूम उठा.