
दस्युसुंदरी फूलन देवी की 2001 में सनसनीखेज हत्या के मामले में एकमात्र दोषी शेर सिंह राणा को गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भरत पाराशर ने खचाखच भरे अदालत कक्ष में सजा का आदेश सुनाया. अदालत में राणा के कुछ परिजन और समर्थक भी मौजूद थे.
न्यायाधीश ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 302/34 के तहत अपराध के लिए मैं तुम्हें उम्रकैद की सजा सुनाता हूं और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाता हूं. धारा 307 के तहत अपराध के लिए मैं तुम्हें उम्रकैद की सजा सुनाता हूं और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाता हूं.’ उन्होंने कहा कि अगर राणा ने जुर्माना अदा नहीं किया तो उन्हें प्रत्येक मामले में छह महीने की कैद भुगतनी होगी.’
न्यायाधीश ने जैसे ही फैसला सुनाया, राणा के कुछ परिजनों और समर्थकों की आंखों में आंसू आ गये. अदालत ने 8 अगस्त को राणा को दोषी ठहराया था. अदालत ने फूलन की हत्या के सिलिसिले में 10 अन्य सह-आरोपियों को बरी कर दिया. फूलन देवी उस समय समाजवादी पार्टी से लोकसभा की सदस्य थीं.
राणा को मामले में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) और 34 (समान इरादे) के तहत अपराधों का दोषी ठहराया गया.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से सांसद 37 वर्षीय फूलन को 25 जुलाई 2001 को यहां उनके अशोक रोड स्थित आवास के सामने तीन नकाबपोश बंदूकधारियों ने नजदीक से गोली मार दी थी. इस घटना के वक्त फूलन देवी लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के बाद दोपहर के भोजन के लिए घर लौट रहीं थीं.
इससे पहले सजा को लेकर दलीलों के दौरान अभियोजन पक्ष ने राणा के लिए मौत की सजा की मांग की थी और कहा था कि उन्होंने पूर्व-नियोजित तरीके से फूलन की हत्या की थी. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि राणा को जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए क्योंकि उसके जैसा शख्स समाज के लिए खतरा है.
हालांकि राणा के वकील ने अभियोजन पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि पुलिस हत्या के पीछे मकसद साबित नहीं कर सकी.
राणा ने अदालत से नरमी बरतने की मांग करते हुए कहा था कि अदालत को उसे एक बार माफ कर देना चाहिए और पुलिस ने उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करके उसकी छवि खराब की है.
राणा ने न्यायाधीश से कहा, ‘आप (जज) भगवान की कुर्सी पर बैठे हैं और आप जो कहेंगे वह भगवान के मुंह से निकली बात होगी. आपने इस मामले में अभियोजन पक्ष को माफ किया है और इसलिए कृपया मुझे भी माफ कीजिए.’ आरोपी प्रदीप सिंह के खिलाफ मुकदमा बंद हो गया क्योंकि उसकी पिछले साल नवंबर में तिहाड़ जेल में मौत हो गयी थी.