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45 से 50 की उम्र में महिलाओं को मेनोपॉज से गुजरना पड़ता है. यह दौर महिलाओं के लिए मुश्किल भरा होता है. मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन आदि.
लेकिन क्या महिलाओं की तरह पुरुषों को भी मेनोपॉज होता है. इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की प्रमुख रीता बक्शी के अनुसार उम्र के साथ पुरुषों में भी हार्मोनल बदलाव होते हैं. हालांकि यह महिलाओं की तुलना में कम ही होते हैं, पर इनसे सीधे तौर पर पुरुषों की सेहत और मनोदशा प्रभावित होती है.
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रीता बक्शी ने कहा कि पुरुषों में एक टेस्टोस्टेरोन नाम का हार्मोन होता है, जिससे उनकी सेक्स लाइफ संचालित होती है. 50 की उम्र के बाद इसमें बदलाव आने लगता है, जिससे पुरुषों की मानसिक और शारीरिक सेहत प्रभावित होती है.
गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टेट्रिशियन डॉ. अर्चना धवन ने कहा कि पुरुषों में इस दौर को एंट्रोजेन डिफिसिएंसी ऑफ दी एजिंग मेल (ADAM) कहते हैं.
ये आमतौर पर 50 की उम्र के बाद होता है, जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर घट जाता है. इस दौरान पुरुषों को मानसिक समस्याएं ज्यादा होती हैं.
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क्या हैं मेनापॉज के लक्षण
ऊजा में कमी, डिप्रेशन या उदासी, जीवन में अचानक मोटिवेशन की कमी लगने लगे, सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी, केंद्रित करने में मुश्किल, नींद न आना, मोटापा बढ़ना, शारीरिक तौर पर कमजोरी महसूस करना आदि.