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घर से स्कूल की ओर जाते हुए बच्चों को कितनी देर प्रदूषण में रहना पड़ता है, इसका असर उनकी मेमोरी पर होता है. एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है.
अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदेषण सेहत को कई तरह से प्रभावित करता है. इसमें दिल की बीमारी भी शामिल है.
लेकिन जर्नल एंवायर्नमेंटल पॉल्यूशन में प्रकाशित हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि स्कूल पहुंचने से पहले रास्तें में बच्चों को कितने प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, इसका असर उनकी मेमोरी यानी कि याद रखने की क्षमता पर होता है.
आपके बच्चे का स्कूल रूट कितना प्रदूषित है, इसका असर उसके सीखने, समझने और विकास पर होता है.
दरअसल, प्रदूषित वायु में PM2.5 और ब्लैक कार्बन नाम का तत्व होता है, जो अपने 2.5 माइक्रोमीटर या इससे भी कम दूरी की वायु को प्रदूषित कर देता है. यह ट्रैफिक से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.
प्रदूषित वायु में मौजूद PM2.5 और ब्लैक कार्बन बच्चों के दिमागी विकास को प्रभावित करता है.
यानी स्कूल रूट पर यदि बहुत ज्यादा जाम लगता है या बच्चों को लंबे समय तक ट्रैफिक में रहना पड़ता है तो ऐसे बच्चों में कमजोर मेमोरी की आशंका बढ़ जाती है.
प्रदूषित या बहुत ज्यादा ट्रैफिक वाले रूट से होकर स्कूल जाने वाले बच्चों के मुकाबले ऐसे बच्चों की मेमोरी ज्यादा तेज होती है, जिनका स्कूल शांत वातावरण के बीच हो और स्कूल रूट ऐसा हो, जिसमें ट्रैफिक ना लगती हो ना ही बहुत ज्यादा गाड़ियां चलती हैं.