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लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण के तहत उत्तर प्रदेश की संत कबीर नगर लोकसभा सीट पर रविवार (12 मई) को वोट डाले गए. छठे चरण में प्रदेश की 80 सीटों में से 14 संसदीय सीटों पर औसतन 54.74 फीसदी मतदान हुआ जबकि संत कबीर नगर लोकसभा सीट पर 55.72 फीसदी वोट पड़े. हालांकि 2014 के चुनाव की तुलना में इस बार वोटिंग में कमी आई, पिछले चुनाव में यहां पर 53.24 फीसदी मतदान हुआ था.
2014 के चुनाव के आधार पर देखा जाए तो इन 14 सीटों में से एनडीए ने 13 और समाजवादी पार्टी (सपा) ने 1 सीट जीती थी. हालांकि इसमें फूलपुर लोकसभा सीट पर पिछले साल हुए उपचुनाव में सपा ने बीजेपी से यह सीट छीनते हुए अपने नाम कर लिया था.
संत कबीर नगर सीट पर सुबह 9 बजे तक 8.75 फीसदी, दोपहर 1 बजे तक 36.84 फीसदी, 3 बजे तक 44.08% और शाम 6 बजे तक 51.23 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. दूसरी ओर, इन 14 लोकसभा सीटों पर सुबह 9 बजे तक औसत मतदान 9.28 प्रतिशत, 11 बजे तक 21.56 प्रतिशत, दोपहर 1 बजे तक 34.30% और 3 बजे तक 43% और शाम 6 बजे तक 50.82 फीसदी दर्ज किया गया. परिणाम 23 मई को आएगा.
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इस बार उत्तर प्रदेश की संत कबीर नगर लोकसभा सीट से 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर प्रवीण कुमार निषाद पर दांव लगाया है. प्रवीण के सामने सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से बसपा के भीष्म शंकर चुनावी मैदान पर हैं. कांग्रेस ने भाल चंद्र यादव को मैदान में उतारा है जो पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इसके अलावा मौलिक अधिकार पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी के साथ दो निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं.
बता दें कि छठवें चरण के लिए 16 अप्रैल को इस सीट के लिए नोटिफिकेशन निकला, 23 अप्रैल को नॉमिनेशन की अंतिम तारीख, 24 अप्रैल को स्क्रूटनी और 26 अप्रैल को नाम वापिसी की अंतिम तारीख थी. आज 12 मई को मतदान के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के पांचवे चरण में 7 राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. देश की सत्ता वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी संभालेंगे या 'वेटिंग इज पीएम' राहुल गांधी, ये 23 मई को परिणाम आने के बाद तय होगा.
महान संत और कवि कबीर दास के नाम पर रखे गए संत कबीर नगर संसदीय सीट उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से एक है और इसकी सीट संख्या 62 है. यह सीट 11 साल पहले ही अस्तित्व में आया और 2002 में गठित परिसीमन आयोग की ओर से दिए गए सुझाव के बाद 2008 में संत कबीर नगर को संसदीय सीट का दर्जा दे दिया गया. हालांकि यह देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने संत कबीर नगर को देश के सबसे पिछड़े 250 जिलों में शामिल किया और यह प्रदेश के उन 34 जिलों में है जिसे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम (बीआरजीएफ) के तहत अनुदान दिया जाता है.
बस्ती मंडल में शामिल संत कबीर नगर जिले का मुख्यालय खलीलाबाद है. यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज, पूर्व में गोरखपुर, दक्षिण में अंबेडकर नगर और पश्चिम में बस्ती जिला से घिरा हुआ है. घाघरा, कुआनो, आमी और राप्ती यहां पर बहने वाली प्रमुख नदियां हैं. 5 सितंबर 1997 को बस्ती से अलग करते हुए संत कबीर नगर प्रदेश के नए जिलें के रूप में अस्तित्व में आया. पहले यह बस्ती जिले का एक तहसील था.
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सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के अनुसार, संसदीय सीट संत कबीर नगर की आबादी 17.2 लाख है जिसमें 8.7 लाख (51%) पुरुषों की और 8.5 लाख (49%) महिलाओं की आबादी है. इसमें 78 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है और 22% आबादी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर देखा जाए तो 76% आबादी हिंदुओं की है जबकि मुस्लिमों की आबादी 24% है. लिंगानुपात के लिहाज प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाएं हैं. यहां की साक्षरता दर 67% है, जिसमें 78% पुरुष और 55% महिलाओं की आबादी साक्षर है.
संत कबीर नगर के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र (आलापुर, मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघाटा और खजनी) आते हैं. अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व आलापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की अनीता कमल का कब्जा है जिन्होंने सपा की संगीता को 12,513 मतों के अंतर से हराया था. मेंहदावल विधानसभा सीट पर भी बीजेपी के राकेश सिंह बघेल विधायक हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में बसपा के अनिल कुमार त्रिपाठी को 42,914 वोटों से हराया था.
खलीलाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी के दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे ने 2017 के चुनाव में बसपा के मंसूर आलम चौधरी को 16,037 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित धनघाटा विधानसभा सीट पर से बीजेपी के सीताराम चौहान विधायक हैं जिन्होंने 2 साल पहले हुए चुनाव में सपा के अगलू प्रसाद को 16,909 वोटों से हराया था. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खजनी विधानसभा सीट से भी बीजेपी का कब्जा है और उसने बसपा के राजकुमार को 20,079 मतों के अंतर से हराया था. पांचों विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है ऐसे में उसकी स्थिति थोड़ी मजबूत है.
2014 का जनादेश
2008 में संसदीय सीट के रूप में अस्तित्व में आने के बाद 2014 में यहां पर दूसरी बार लोकसभा चुनाव कराया गया. तब चुनाव में 25 प्रत्याशी मैदान में थे. 19,04,327 मतदाताओं में से 10,11,649 (53.1%) लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें बीजेपी के शरद त्रिपाठी विजयी रहे. उन्होंने 97,978 (9.7%) मतों के अंतर से बसपा के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को हराया था.
शरद त्रिपाठी और कुशल के बाद तीसरे स्थान पर सपा के भालचंद्र यादव थे, जबकि पीस पार्टी के राजाराम चौथे स्थान पर रहे. कांग्रेस यहां पांचवें नंबर पर रही थी.
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