
चीन का तीन दिवसीय दौरा खत्म करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार शाम मंगोलिया पहुंचे. वहां एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत किया गया. मंगोलिया पहुंचने के बाद पीएम ने ट्वीट करके कहा, 'हैलो मंगोलिया.' एयरपोर्ट पर मंगोलिया के विदेश मंत्री पीएम के स्वागत के लिए पहुंचे.
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन दौरे के अंतिम दिन शंघाई में भारतीय लोगों को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने चीन से रवाना होते हुए ट्वीट करके चीन को अलविदा कहा.
मोदी ने आगे कहा, 'एक साल पहले सिर्फ एक ही स्वर सुनाई देता था, स्वर कि दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे. एक साल पहले मेरी आलोचना होती थी. सही आलोचना होती थी लेकिन आशंका गलत थी. मेरा बायोडाटा देखकर सब इंकार कर देते थे. मैं एक साल बाद जनता के सामने अपना सिर झुकाता हूं. मैंने तब ये संकल्प किया था कि मैं परिश्रम करने में कोई कमी नहीं रखूंगा.'
मोदी ने भारतीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'शंघाई की धरती पर लघु हिंदुस्तान मौजूद है. दुनिया की हर अच्छी बात सीखने की कोशिश कर रहा हूं. मैं आप लोगों से आशीर्वाद लेने आया हूं. जनता जनार्दन सबसे ऊपर है. एक साल में मुझ पर कोई आरोप नहीं लगा है. जनता ईश्वर का रूप है. मुझे आशीर्वाद दीजिए.' मंगोलिया की यात्रा के बारे में मोदी ने कहा कि आप संडे मनाएंगे, मैं मंगोलिया में काम करूंगा. ये चीन के इतिहास में पहली बार है जब किसी दूसरे देश के नेता का इतना भव्य स्वागत हुआ हो. ये स्वागत नरेंद्र मोदी का नहीं, ये स्वागत 125 करोड़ देशवासियों का है.
मोदी ने कहा, '15 साल पहले विकासशील देशों को कोई पूछता नहीं था. विश्व के मानचित्र में हवा बदल चुकी है. विश्व को देने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है. आतंकवाद जिस तरह से दुनिया दुश्मन बना हुआ है. विश्व का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है जो आतंकवाद का निशाना न बना हो. गोलियां से छलनी जनता को मरहम कौन लगाएगा. इस संकट की घड़ी से जीने का विश्वास कौन देगा. वही दे सकता है जिसके पूर्वजों ने वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया हो.'
मोदी ने आगे कहा, 'भारत आज नई भूमिका की ओर बढ़ रहा है. चांद-तारों को हमने रिश्ते का नाम दिया. प्रकृति का दोहन सही है, शोषण गलत. ग्लोबल वॉर्मिंग विश्व की चिंता है. लोग मेरे विदेश दौरे को लेकर मेरी बुराई करते हैं. लेकिन 125 करोड़ देशवासियों के लिए मैं आलोचना सुनने के लिए तैयार हूं. मेरा एक-एक कण देश के लिए है. ह्वेंगसांग ने अपनी किताब में मेरे शहर का वर्णन किया था. मैंने खुदाई करवाई तो बात सच साबित हुई. राष्ट्रपति शी जिनपिंग मेरे गांव में ये काम देखना चाहते थे. राष्ट्रपति ने मुझे किताब दिखाई.'