
हाईलेवल सरकारी कमेटी ने नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का समर्थन किया है, लेकिन इनकी सिफारिश से वॉट्सएप, स्काइप और वाइबर जैसे एप्स इस्तेमाल करने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इन एप्स के जरिए की जाने वाली डोमेस्टिक कॉल्स अब फ्री नहीं रहेंगी.
हालांकि इस सिफारिश के लागू होने के बाद वॉट्सएप, स्काइप और वाइबर जैसे एप्स पर इंस्टेंट मैसेज और इंटरनेशनल कॉल्स की सेवा मुफ्त मिलती रहेगी.
दरअसल कमेटी ने ये सिफारिश की है कि व्हाट्सएप, वाइबर और स्काइप जैसी ओवर द टॉप (ओटीटी) एप्स इंटरनेशनल कॉल्स और मैसेजेस तो उपलब्ध करवा सकती है, लेकिन लोकल और नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस (एनएलडी) कॉल्स के लिए इन कंपनियों को लाइसेंस लेना जरूरी होगा.
कमेटी ने इस बात पर रोशनी डाली कि 'भारत बुद्ध की भूमि है, जिन्होंने हमेशा बीच का रास्ता अपनाने की सलाह दी है.' लेकिन इस सीख पर चलते हुए बनाई गई रिपोर्ट से किसी को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है. इस बात से 6 लोगों का ये पैनल भी बखूबी वाकिफ होगा.
अपने 100 पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी का कहना है कि नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए और इस मुद्दे पर बहुआयामी बहस होना ही इसका समाधान है.