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सिर्फ लॉकडाउन नहीं, कोरोना को हराने वाले देशों ने अपनाए ये रास्ते

WHO की मानें तो कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन ही काफी नहीं है. ऐसे में भारत को अब ऐसा क्या करना होगा जिससे कोरोना के खिलाफ इस बड़ी जंग को जीता जा सके. कोरोना को परास्त करने के लिए दुनिया के उन देशों पर नजर दौड़ानी होगी, जो इस जानलेवा वायरस से खुद को बचाने में कामयाब रहे हैं.

भारत के कई राज्यों में लॉकडाउन (फोटो- PTI) भारत के कई राज्यों में लॉकडाउन (फोटो- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 9:06 AM IST

  • भारत के 10 से राज्यों में पूरी तरह लॉकडाउन
  • WHO ने कहा- सिर्फ लॉकडाउन हल नहीं
  • मरीजों की पहचान और टेस्टिंग सबसे जरूरी

भारत जैसे-जैसे कोरोना वायरस की अगली स्टेज में जा रहा है, वैसे-वैसे चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं. हालात इतने नाजुक हो गए हैं कि जनता कर्फ्यू के बीच ही आधे भारत में लॉकडाउन लागू हो गया है. यानी जरूरी सर्विस के अलावा सब कुछ बंद हो गया है. अब सवाल ये है कि क्या लॉकडाउन से भारत कोरोना के खिलाफ जंग जीत जाएगा?

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WHO की मानें तो कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन ही काफी नहीं है. ऐसे में भारत को अब ऐसा क्या करना होगा जिससे कोरोना के खिलाफ इस बड़ी जंग को जीता जा सके. कोरोना को परास्त करने के लिए दुनिया के उन देशों पर नजर दौड़ानी होगी, जो इस जानलेवा वायरस से खुद को बचाने में कामयाब रहे हैं.

चीन के बाद दक्षिण कोरिया में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े तो उसने उतनी ही स्पीड से कोरोना वायरस का टेस्ट किट बनाया. करीब 3 लाख लोगों का टेस्ट किया गया. अब भी वहां हर रोज करीब 10 हजार लोगों का मुफ्त में टेस्ट हो रहा है. दक्षिण कोरिया ने अपने टेस्ट किट का मास प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है. WHO के मुताबिक , 22 मार्च तक दक्षिण कोरिया में कोरोना के 8897 पॉजिटिव केस सामने आए और 104 लोगों की मौत हुई.

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सिंगापुर में सीसीटीवी की सहायता ली गई. 6000 ऐसे लोगों को सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से ट्रेस किया गया जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में हो सकते थे. सिंगापुर में जिन लोगों को घर पर अलग रहने के लिए कहा गया है, उनसे दिन में कई बार संपर्क किया जाता है और फोटो मंगवाया जाता है ताकि पता चल सके कि वे कहां हैं. 22 मार्च तक सिंगापुर में कोरोना के 432 केस सामने आए और यहां 2 लोगों की मौत हुई है.

सिंगापुर के अलावा हांगकांग में तो उन लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है जो किसी संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने से दो दिन पहले तक उसके संपर्क में आए हों. हांगकांग में विदेश से आने वाले लोगों को अपनी बांह में एक इलेक्ट्रिक ब्रेसलेट पहनना होता है जो उनकी मूवमेंट को ट्रैक करता है. बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के जितने भी केस आए हैं, वो विदेशी यात्रा से जुड़े थे. भारत की स्थिति भी अब तक यही है.

देरी बनी घातक

एक तरफ कुछ देशों ने कोरोना वायरस के खिलाफ समय से सतर्कता दिखाई तो दूसरी तरफ अमेरिका जैसे बड़े देश इसमें पीछे नजर आए. अमेरिका में टेस्टिंग में देरी हुई. प्राइवेट लैब में करवाए जाने वाले टेस्ट को मंज़ूरी मिलने में भी देरी हुई. बहुत से लोग महंगे टेस्ट नहीं करवा पाए. हालांकि बाद में सभी के लिए फ्री टेस्टिंग का प्रावधान किया गया. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. अमेरिका में 22 मार्च तक 15 हजार से ज्यादा केस सामने आए हैं और 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.

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यानी कोरोना से बचाव के लिए टेस्ट करना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ ही उस हर व्यक्ति की पहचान भी जरूरी है जो विदेश से आए, कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए या कोरोना संदिग्ध के संपर्क में भी आए.

WHO ने भी लॉकडाउन को नाकाफी बताते हुए यही रास्ते अपनाने की सलाह दी है. साथ ही जिन देशों ने टेस्ट और संक्रमित लोगों की पहचान समय से की है, WHO ने उनकी तारीफ भी की है. WHO के माइक रायन ने कहा है कि सिर्फ लॉकडाउन ही कोरोना को रोकने के लिए काफी नहीं है, इस वक्त जरूरत है कि जो लोग बीमार हैं और इससे पीड़ित हैं उन्हें ढूंढा जाए और निगरानी में रखा जाए तभी इसे रोका जा सकता है.

कोरोना जांच के लिए सरकार ने बढ़ाई लैबों की संख्या, अब 116 जगह होंगे टेस्ट

माइन रायन ने इसके लिए सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और चीन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इन देशों ने हर उस व्यक्ति की जांच, जो कोरोना संदिग्ध था. रायन ने दुनिया के बाकी देशों से भी इसी मॉडल पर काम करने की सलाह दी है.

यानी भारत को भी कोरोना को हराने के लिए ऐसे रास्ते अपनाने होंगे. दिल्ली सरकार ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है. दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया है कि 1 मार्च के बाद विदेशों से आने वाले सभी लोगों की पहचान की जाए ताकि उनके टेस्ट कराए जा सकें और उनके संपर्क में आने वाले लोगों का भी पता लगाया जा सके.

कोरोना की वैक्सीन आने में अभी लंबा वक्त लगेगा. ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन के बाद अब टेस्ट किट्स के साथ संक्रमण को ट्रैक करना सबसे ज्यादा जरूरी है, ताकि इस जानलेवा वायरस की तबाही से बचा जा सके.

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