
लाल साड़ी और बड़ी सी लाल बिंदी में फब रही हुगली (पश्चिम बंगाल) से भाजपा की लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी राजनीति में रम चुकी हैं. बांग्ला फिल्म की अभिनेत्री और क्लासिकल डांसर रही लॉकेट, नृत्य की बारीकियों और फिल्मों के पात्रों को समझने की जगह संसदीय परंपराओं, बहस की बुनियादी नियमों और संसदीय कमेटियों में भागीदारी कर खुद को आह्लादित महसूस कर रही हैं.
संसद भवन में स्थित भाजपा संसदीय कार्यालय में, कार्यालय सचिव बाला सुब्रमण्यम कामर्सु से लॉकेट ने पहले यह जानकारी हासिल की कि लोकसभा में कौन-कौन सा बिल कब आ रहा है. सांसद ने बताया कि वह चिंट फंड के मुद्दे पर बोलने की तैयारी कर रही हैं. पिछले चार साल से वह कला की क्षेत्र से खुद को अलग कर चुकी हैं. वह कहती हैं कि, 'बतौर सांसद बहुत सारी जिम्मेदारी होती है. संसदीय नियमों, परंपाराओं की जानकारी बहुत जरूरी है. इन दिनों बहुत सारी पढ़ाई करनी पड़ रही है.
बहस के लिए तैयारी करना आसान नहीं है.' लॉकेट कहती हैं कि, जो लोग राजनीति और संसद को तिकड़म का खेल समझते हैं वह सही नहीं हैं. ज्यादातर सांसद चाहे वह किसी भी दल के हों काफी अध्ययन करते हैं. खासकर जब आपकों संसद के अंदर बोलना होता है तो भाषा, तथ्य और शालीनता को ध्यान रखना पड़ता है. दूसरे को सुनना और अपनी आलोचना को धैर्य के साथ सुनना और उसका संतुलित उत्तर देना एक बड़ी जिम्मेदारी हैं. फिल्म तो कुछ ही लोग देखते हैं और आपके अभिनय पर टीका-टिप्पणी करते हैं लेकिन बतौर सांसद आपको पूरा देश देख रहा होता है. इसलिए यहां जिम्मेदारी बढ़ जाती है. वह हंसते हुए कहती हैं कि संसद के अंदर रीटेक का भी मौका नहीं है.
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