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निजामाबाद लोकसभा सीट: कांग्रेस का गढ़ जहां महिलाएं रहती हैं वोटिंग में आगे

निजामाबाद लोकसभा सीट के भीतर सात विधानसभा सीटें आती हैं. सातों सीटों में से एक भी समाज के पिछड़े वर्गों के लिए सुरक्षित नहीं है. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में सारी की सारी सीटों पर टीआरएस को जीत मिली थी और सातों विधायक एक ही पार्टी के चुने गए.

सांकेतिक तस्वीर (फोटो- PTI) सांकेतिक तस्वीर (फोटो- PTI)
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

निजामाबाद लोकसभा सीट तेलंगाना के करीमनगर और निजामाबाद जिले में स्थित है. निजामाबाद दो शब्दों- निजाम और आबाद से मिलकर बना है, जिसका आशय होता है निजाम (शासक) की लंबी उम्र हो. निजामाबाद की खोज 1905 में हुई थी. निजामाबाद लोकसभा सीट से इस समय टीआरएस की कलवकुंतला कविता सांसद हैं. वह इस सीट से पहली बार सांसद चुनी गई हैं. यह सीट अपने अस्तित्व से ही कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. हालांकि, बीच-बीच में तेलुगू देशम पार्टी के उम्मीदवार भी यहां से जीतते रहे हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

तेलंगाना राज्य का निर्माण होने के बाद 2014 में यहां से पहली बार टीआरएस को जीत मिली थी. इस सीट पर हुए 16 लोकसभा चुनावों में से कांग्रेस को 11 बार जीत मिली है. तीन बार यहां से तेलुगू देशम पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं. यहां से कांग्रेस के दो सांसद (हरीश चंद्र हेडा और एम, राम गोपाल रेड्डी) और तेलुगू देशम पार्टी के एक सांसद (जी. गंगा रेड्डी) सर्वाधिक तीन-तीन बार जीते हैं.

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की 66 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है और करीब 34 फीसदी आबादी शहरी है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी कुल आबादी की 13.76 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति की आबादी कुल आबादी की 5.7 फीसदी है. 2006 में निजामाबाद को भारत के 250 सबसे पिछड़े शहरों में शामिल किया गया था. यह केंद्र सरकार से मदद पाने वाले तेलंगाना के 10 जिलों में शामिल है. निजामाबाद लोकसभा सीट के भीतर सात विधानसभा सीटें आती हैं. सातों सीटों में से एक भी समाज के पिछड़े वर्गों के लिए सुरक्षित नहीं है. ये सीटें अरमुर, बोधन, निजामाबाद (ग्रामीण),  निजामाबाद (शहरी), बालकोन्डा, कोरातला और जगतियाल हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में सारी की सारी सीटों पर टीआरएस को जीत मिली थी और सातों विधायक एक ही पार्टी के चुने गए. निजामाबाद में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. यही नहीं, यहां पर महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा संख्या में मताधिकार का इस्तेमाल भी करती हैं. यहां पर 7,24,504 पुरुष मतदाता और 7,71,689 महिला मतदाता यानी कुल 14,96,193 मतदाता हैं. 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में करीब 65 फीसदी पुरुषों ने मतदान किया था तो 73 फीसदी से ज्यादा महिलाएं वोट देने पहुंची थीं.

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2014 का जनादेश

2014 में इस सीट पर टीआरएस का खाता खुला था. यहां से कलवकुंतला कविता 1.67 लाख से ज्यादा वोटों के बड़े अंतर से जीती थीं. उन्होंने कांग्रेस के मधु याक्षी गौड़ को मात दी थी. कविता को 42.49 फीसदी यानी 4,39,307 लाख वोट मिले थे. मधु गौड़ को 26.32 फीसदी यानी 2,72,123 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे बीजेपी के ई. लक्ष्मीनारायणा को 21.79 फीसदी यानी 2,25,333 वोट मिले थे. 2009 में यह सीट आंध्र प्रदेश में थी. तब यहां हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मधु याक्षी गौड़ ने टीआरएस के बी. गणेश गुप्ता को करीब 60 हजार वोटों के अंतर से हराया था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

निजामाबाद लोक सभा सीट से सांसद कलवकुंतला कविता की संसद में मौजूदगी बहुत अच्छी नहीं रही है. उन्होंने सदन में केवल 57 फीसदी उपस्थिति ही दर्ज कराई है, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी और राज्य का औसत 69 फीसदी है. उन्होंने सदन में 41 बहसों में हिस्सा लिया, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 65.3 बहसों का है और उनके राज्य तेलंगाना के सांसदों का औसत 38.2 बहसों का है. इस दौरान उन्होंने सदन में 283 सवाल भी पूछे. इस मामले में राष्ट्रीय औसत 285 सवालों  का है और राज्य का औसत 295 सवालों का है. हां, इस दौरान उन्होंने तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय और राज्य का औसत 2.2 बिलों का है. कलवकुंतला कविता को उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए सांसद निधि से 15 करोड़ रुपये आवंटित हुए, जो ब्याज समेत मिलाकर 20.33 करोड़ रुपये हो गए थे. इसमें से उन्होंने 17.04 करोड़ रुपये यानी मूल आवंटित धन का 111.58 फीसदी यानी 17.04 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके बावजूद उनके फंड के 3.30 करोड़ रुपये बिना खर्च किए रह गए.

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