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क्या 311 सांसदों को मिलेगा दूसरा चांस, अब तक 60% को नहीं मिला यह मौका

68 साल के इतिहास में भारत में 16 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें 4,843 नेता संसद में पहुंचने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में सांसद दूसरी बार लोकसभा नहीं पहुंच सके और अगली जीत का इंतजार, इंतजार ही रह गया.

60% सांसद को लोकसभा में दूसरी बार नहीं मिली जीत (फोटो-Getty) 60% सांसद को लोकसभा में दूसरी बार नहीं मिली जीत (फोटो-Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2019,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST

17वीं लोकसभा के लिए अब सिर्फ 2 चरणों के मतदान होने रह गए हैं. बाकी 123 संसदीय सीटों पर होने वाले मतदान को लेकर चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है. 2014 में 543 सांसदों में से 50 फीसदी से ज्यादा यानी 311 सांसद पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन अब सबकी नजर इस पर है कि इनमें से कितने सांसद दूसरे बार चुनाव जीतने में कामयाब होंगे और कितने सांसद पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचेंगे.

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68 साल के इतिहास में भारत में 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें 4,843 नेता संसद में पहुंचने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में सांसद दूसरी बार लोकसभा नहीं पहुंच सके और अगली जीत का इंतजार, इंतजार ही रह गया. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी 4 बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत ऐसे कई सांसदों को 23 मई के रिजल्ट का इंतजार है जो दूसरी बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचने का ख्वाब देख रहे हैं.

420 सीटों पर मतदान

2019 में नई लोकसभा के लिए अब तक 420 सीटों पर मतदान हो चुके हैं. ऐसे में इंडिया टुडे ने करीब 7 दशक लंबे संसदीय इतिहास में नेताओं के चुनावी प्रदर्शन पर रिसर्च किया.

इंडिया टुडे डॉट इन में अपने अध्ययन में पाया कि 1951 से 2019 के बीच 4,865 सांसद लोकसभा पहुंचे जिसमें 22 सांसदों को नॉमिनेट किया गया था, इस तरह से 4,843 चुनाव जीतकर संसद के निचले सदन में पहुंचने में कामयाब रहे. नॉमिनेट सदस्यों ने चुनाव नहीं लड़ा.

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इंडिया टुडे डॉट इन ने अपने अध्ययन में पाया कि 1951 से लोकसभा में हर 5 में से 3 नेता संसद के लिए चुनाव जीतनेमें नाकाम रहा. दूसरे शब्दों में कहें तो 4,843 सांसदों में से 2,840 (58.64 फीसदी) सांसद अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर लोकसभा के जरिये संसद नहीं पहुंच सके.

गुजरे 68 सालों में लोकसभा के लिए 2,003 सांसद एक से अधिक बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इसमें से हर दूसरा नेता (50 फीसदी) तीसरी बार का लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका, यानी कि इन लोगों को तीसरा टर्म नहीं मिला. वहीं 502 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने 3 बार चुनाव में जीत हासिल की, जबकि 249 सांसदों को 4 बार जीत मिली. 4 बार से अधिक जीत हासिल करने वाले सांसदों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी गई.

महज 4 नेता ऐसे हैं जिन्होंने 10 या उससे अधिक बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. 3 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने 10 बार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया तो सबसे ज्यादा 11 बार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी बना.

वामपंथी नेता इंद्रजीत गुप्ता ने रिकॉर्ड 11 बार लोकसभा के लिए जीत दर्ज की, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी और कांग्रेस नेता पीएम सईद ने 10-10 बार चुनाव में जीत हासिल की.

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इसके अतिरिक्त 9 नेता ऐसे हैं जिन्होंने 9 बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. 18 नेताओं ने 8 बार लोकसभा चुनाव जीते. जबकि 34 सांसद ऐसे रहे जिन्हें लोकसभा में 7 टर्म मिला.

संविधान की धारा 331 के अनुसार, राष्ट्रपति दो एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों को लोकसभा के लिए चुन सकते हैं जिससे इस समुदाय के लोगों को संसद में उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके. 1951 से लेकर अब तक लोकसभा में 22 लोगों को एंग्लो-इंडियन समुदाय से नॉमित किया जा चुका है, जिसमें से ज्यादातर सांसदों को एक ही कार्यकाल मिला.

2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 543 सांसदों में 311 नेता पहली बार सांसद चुने गए जिसमें से सबसे ज्यादा बीजेपी के 160, एआईएडीएमके के 33 और तृणमूल कांग्रेस के 21 सांसद शामिल हैं. अब देखना है कि इनमें से कितने सांसद दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने जाते हैं. फिलहाल 23 मई का सभी को इंतजार है.

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