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लोकसभा ने गुरुवार को लंबी बहस के बाद आखिरकार ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पास कर दिया. लोकसभा में यह बिल पास होते ही मुस्लिम महिलाओं के चेहरे खिल उठे. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी अपनी मेज थपथपाकर खुशी जाहिर की. गुरुवार को देशभर की निगाहें सदन की कार्यवाही पर गड़ी रहीं और करीब पांच घंटे की बहस के बाद यह बिल पास हो गया.
इसकी वजह यह है कि यह बिल देश की नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं की तकदीर और तड़क से जुड़ा हुआ है. यह आबादी ब्रिटेन की जनसंख्या से भी ज्यादा है. इससे करीब चार महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने बहुमत से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही सरकार से मामले में कानून बनाने को कहा था.
गुरुवार को सबसे पहले केंद्र सरकार ने लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश करते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक और न्याय दिलाने के लिए यह बिल लाई है. उन्होंने कहा कि इस बिल का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. सरकार शरीयत में दखल देने के लिए तीन तलाक बिल नहीं लाई हैं. इसका मकसद सिर्फ तीन तलाक को रोकना है. पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक पर रोक है.
इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कांग्रेस पार्टी का स्वर अजीब भ्रम पैदा करता है. कांग्रेस एक ओर कहती है कि वो बिल का समर्थन कर रही है, तो दूसरी ओर किंतु और परंतु कर रही है, जो चलने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बिल को सियासत या मजहब के तराजू पर नहीं तौला जाना चाहिए.
लोकसभा में बहस के दौरान RJD, BJD और सपा समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया. इन पार्टियों ने बिल में सजा के प्रावधान को गलत बताया है और इसका कड़ा विरोध किया. लोकसभा में बिल पर बहस का मुद्दा ही सजा का प्रावधान रहा. इसके बाद विपक्षी दलों की ओर से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पर पेश किए गए संशोधन प्रस्तावों पर वोटिंग हुई.
हालांकि वोटिंग के दौरान सभी संशोधन प्रस्ताव गिर गए और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस बिल के पास होने की घोषणा कर दी. इस दौरान कांग्रेस ने कहा कि सिर्फ मोदी सरकार ही इस बिल को पास कराने का श्रेय नहीं ले सकती है. कांग्रेस समेत किसी भी विपक्षी दल ने इस बिल का विरोध नहीं किया. कांग्रेस ने बिल को सिर्फ स्थायी समिति के पास भेजने की बात कही थी.
ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव समेत सभी प्रस्ताव खारिज
लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पर लंबी बहस के बाद संशोधन प्रस्तावों पर वोटिंग हुई. इस बिल पर AIMIM प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी की ओर से पेश किए गए सभी संशोधन प्रस्ताव पूरी तरह खारिज हो गए. ओवैसी के पहले संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ दो वोट पड़े, जबकि विरोध में 241 सदस्यों ने वोट किया. इसके अलावा ओवैसी के दूसरे संशोधन प्रस्ताव के विरोध में 242 सदस्यों ने वोट किया, जबकि 2 वोट पक्ष में पड़े.
ज्यादा मुसलमानों को जेल में डालने के लिए बनाया जा रहा कानूनः ओवैसी
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर बहस के दौरान AIMIM प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस बिल के जरिए न सिर्फ पर्सनल लॉ में दखल दे रही है, बल्कि ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों को जेल में डालने का सपना देख रही. ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ तीन तलाक ही नहीं, बल्कि सभी तरह के तलाक को खत्म करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि किसी भी मुस्लिम देश में तलाक को लेकर दंड संहिता नहीं है. इसके तहत सजा का प्रावधान नहीं किया जा सकता है. शौहर से बीबी की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए जबरदस्ती नहीं की जा सकती है.
3 साल की सजा पर दिखा जबरदस्त टकराव
लोकसभा में तीन तलाक बिल के तहत तीन साल की सजा के प्रावधान को लेकर सबसे ज्यादा टकराव दिखा. ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया. सदन में बहस के दौरान RJD, BJD और सपा समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के तहत तीन साल की सजा के प्रावधान पर अपना विरोध दर्ज कराया. इनका कहना था कि मोदी सरकार जल्दबाजी में यह बिल पास करा रही है. इसमें सजा का प्रावधान करना पूरी तरह से गलता है.
बिल से इस्लाम नहीं मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में हैः अकबर
लोकसभा में बोलते हुए विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा कि तीन तलाक बिल से इस्लाम खतरे में नहीं हैं, बल्कि मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में हैं. बाकी कुछ भी खतरे में नहीं है. शरीया को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि शरीया का मतलब कानून नहीं है, बल्कि रास्ता है. उन्होंने कहा कि शरीया का मतलब रास्ता दिखाना है.
लोकसभा में बोलते हुए विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी आड़े हाथों लिया. इस बोर्ड से सलाह मशविरा करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आखिर मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की विश्वसनीयता ही क्या है? आखिर इसको किसने बनाया है? क्या इस बोर्ड के सदस्य चुनकर आते हैं? अगर वो जनता से चुनकर नहीं आते हैं, तो उनको मामले में शामिल क्यों किया जाए?
आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया विरोध
वहीं आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ विधेयक पारित किये जाने की निन्दा करते हुए कहा कि वह इस विधेयक में संशोधन कराने या उसे रद्द कराने के लिए सभी लोकतांत्रिक तरीके अपनाएगा. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलउर्रहमान सज्जाद नोमानी का कहना है कि बोर्ड को इस बात का बहुत अफसोस है कि तीन तलाक सम्बन्धी विधेयक को इतनी जल्दबाजी में पेश किया गया. इस जल्दबाजी की कोई वजह समझ में नहीं आती.
कैसा होगा बिल?
मोदी सरकार 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017' नाम से इस विधेयक को लाई है. ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानी तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पुरुष अगर अपनी बीबी को तीन तलाक देगा, तो वो गैर-कानूनी होगा.
इसके बाद से किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक, वह चाहें मौखिक हो या लिखित हो और या फिर मैसेज के जरिए हो, अवैध होगा. जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है यानी तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय ( Cognizable) अपराध होगा.
इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे.
ऐसा है प्रस्तावित बिल
- एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होग
- ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा.
- यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा.
- तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी.
- पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे.
- यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है.