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लोकसभा चुनाव में जनता के पास मोदी या अराजकता में से कोई एक चुनने का विकल्प: जेटली

अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूरी तरह से नेता नहीं हैं. वह आजमाये हुए और असफल हैं. मुद्दों पर उनकी समझ की कमी भयावह है.

अरुण जेटली (फोटो- PTI) अरुण जेटली (फोटो- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 12:41 AM IST

लोकसभा चुनाव की तारीखों की ऐलान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग के जरिए विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा है. उन्होंने सोमवार को कहा कि महागठबंधन प्रतिद्वंदी राजनीतिक दलों का आत्मघाती गठजोड़ है और लोकसभा चुनाव में लोगों को मोदी या अराजकता में से एक का चयन करना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन लोकसभा चुनाव में दूसरी बार जनादेश हासिल करने के लिये चुनाव में उतर रहा है. इस चुनाव में 90 करोड़ लोगों के मतदान करने की उम्मीद है. लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू हो रहा है और 23 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे.

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पूरी तरह से नेता नहीं राहुल गांधी

जेटली ने अपने ब्लाग में कहा, ‘जिसे महागठबंधन के रूप में पेश किया गया वह कई प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों के गठबंधन के तौर पर सामने आ रहा है. यह प्रतिद्वंद्वियों का आत्मघाती गठबंधन है.’उन्होंने अपने ब्लाग में लिखा कि विपक्षी खेमे में नेतृत्व का मुद्दा पहेली बना हुआ है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक पूर्ण नेता नहीं हैं.

उन्होंने लिखा, ‘वह आजमाये हुए और असफल हैं. मुद्दों पर उनकी समझ की कमी भयावह है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूरी तरह से नेता नहीं हैं.’ बीजेपी के वरिष्ठ नेता जेटली ने कहा कि विपक्षी गठबंधन अस्पष्ट और कमजोर है.

गठबंधन के बाद भी मायावती को डर

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए जेटली ने लिखा कि ममता दीदी खुद को इस गठबंधन के सूत्रधार के तौर पर पेश कर रही हैं. उन्होंने अभी तक कांग्रेस या लेफ्ट को पश्चिम बंगाल में एक भी सीट नहीं दी है लेकिन वह चाहती हैं कि यह लोग उनकी गाड़ी में बैक सीट पर बैठें. साथ ही नीतिगत मुद्दों पर उनके बयान काफी उलट नजर आते हैं.

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इसी तरह मायावती पर टिप्पणी करते हुए जेटली ने लिखा कि पिछले चुनाव में उनकी पार्टी बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था. इसी वजह से अब उन्होंने रणनीति बदली है. मायावती अब मजबूत बसपा लेकिन कमजोर कांग्रेस चाहती हैं. वह हमेशा से कभी पहले पत्ते नहीं खोलतीं, नतीजों के बाद उनका रुख साफ होता है. उन्होंने अपनी धुर विरोधी सपा के साथ गठबंधन तो कर लिया है लेकिन उन्हें अब भी गठबंधन की वजह से बसपा को नुकसान होने का डर सता रहा है.

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