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कांग्रेस ने संसद में उठाया आरक्षण का मसला, मंत्री बोले- SC की टिप्पणी से सरकार का लेना-देना नहीं

प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संसद में भी हंगामा हुआ. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने लोकसभा में इस मसले को उठाया और सरकार से जवाब मांगा.

आरक्षण के मसले पर फिर घिरी मोदी सरकार! आरक्षण के मसले पर फिर घिरी मोदी सरकार!
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

  • प्रमोशन में आरक्षण पर संसद में बवाल
  • कांग्रेस नेता ने सरकार पर साधा निशाना
  • SC के फैसले का सरकार से संबंध नहीं: मंत्री

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा प्रमोशन में आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है. सोमवार को संसद के अंदर कांग्रेस के सांसदों ने इस मसले को उठाया और सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि ये सरकार मनुवादियों की सरकार है. हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से खुद को अलग किया और कहा कि ये भारत सरकार का कथन नहीं है.

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केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है, उसमें भारत सरकार का कोई लेना देना नहीं है. हमारी ओर से केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत अपना बयान देंगे.

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये सरकार सिर्फ मनुवाद में विश्वास रखती है, उत्तराखंड सरकार ने आरक्षण का विरोध किया है. और केंद्र सरकार कह रही है कि उसका कुछ लेना-देना नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारी सरकार हमेशा एससी-एसटी के अधिकारों को बचाती रही है, लेकिन इस सरकार ने सबकुछ खत्म करने का काम किया है.

इसे पढ़ें... सरकार पर बरसे राहुल- आरक्षण खत्म करना BJP की रणनीति, हम ऐसा होने नहीं देंगे

मोदी सरकार के साथियों ने भी उठाए सवाल

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सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनडीए में साथी लोजपा की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए गए. एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी की कोशिश के बाद ही यह अधिकार हम लोग को मिला है. यह संवैधानिक अधिकार है. आरक्षण किसी तरह की खैरात नहीं है.

संसद में चिराग ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को खारिज करती है और उसे सहमत नहीं है और मैं मांग करूंगा कि हमारी सरकार इसके बारे में अपील करे. उन्होंने ये भी कहा कि मैं चाहता हूं सरकार से इसे नौवीं सूची में डालने पर विचार करे.

यहां पढ़ें... संसद का पूरा घटनाक्रम

उत्तर प्रदेश में भाजपा की साथी अपना दल ने भी अदालत के फैसले पर आपत्ति जताई. अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वह अपनी असहमति दर्ज कराती हैं, ये कोर्ट का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है. एससी/एसटी का न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिए इस प्रकार के फैसले आ रहे हैं.

आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण देना किसी तरह का मौलिक अधिकार नहीं है. इसे देना है या नहीं, ये पूरी तरह से राज्य सरकार के हाथ में है.

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