
लोकपाल कमेटी के सदस्य जस्टिस दिलीप बी भोसले ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक भोसले ने निजी कारणों से यह पद छोड़ा है. जस्टिस भोसले ने पिछले साल 27 मार्च को देश के पहले लोकपाल जस्टिस पिनाकी घोष की अगुवाई वाले पैनल में पदभार ग्रहण किया था. जस्टिस भोसले के अलावा लोकपाल कमेटी में जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी को भी सदस्य नियुक्त किया गया था.
लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत कुछ श्रेणियों के सरकारी सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है. यह कानून 2013 में पारित किया गया था. इस कानून के पारित होने के लंबे वक्त बाद पिछले साल मार्च में जस्टिस पिनाकी घोष ने देश के पहले लोकपाल के तौर पर शपथ ग्रहण की थी.
कैसा है लोकपाल पैनल
कमेटी के अध्यक्ष और लोकपाल जस्टिस घोष मई, 2017 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य भी रह चुके हैं. लोकसभा कमेटी में सभी नियुक्तियों की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति ने की थी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसे मंजूरी दी थी.
लोकपाल कानून के मुताबिक लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं. इनमें से चार न्यायिक सदस्य होंगे, कम से कम 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए. चयन के बाद अध्यक्ष और सदस्य पांच साल या 70 साल की आयु तक पद पर रह सकते हैं.